ग्रेटर नोएडा में हवा हुई सबसे जहरीली, एनसीआर के कई शहर 'डार्क रेड जोन’में
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नई दिल्ली: तमाम कोशिशों के बाद भी दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में वायु प्रदूषण का स्तर घट नहीं रहा है. गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के प्रमुख शहरों नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद में वायु प्रदूषण (Air Pollution ) का स्तर 'गंभीर’ की श्रेणी में पहुंच गया.
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ग्रेटर नोएडा AQI खतरनाक लेवल पर
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से शाम चार बजे जारी रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रेटर नोएडा का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 448 और नोएडा 441 एक्यूआई (AQI) के साथ देश में पहले और दूसरे स्थान पर रहे. हालांकि, बुधवार की तुलना में एक्यूआई (AQI) में कुछ गिरावट रही. गाजियाबाद 440 एक्यूआई के साथ तीसरे स्थान पर रहा.
डार्क जोन में दिल्ली-एनसीआर के कई शहर
गुरुवार को एनसीआर के ज्यादातर शहर 'डार्क रेड जोन’में पहुंच गए. हालांकि ग्रेटर नोएडा में वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा रहा. इसके बाद नोएडा और गाजियाबाद का स्थान रहा.
सबसे प्रदूषित शहर
ग्रेटर नोएडा- 448
नोएडा- 441
गाजियाबाद - 440
प्राधिकरण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लगा रहा है जुर्माना
प्राधिकरण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Pollution control board) वायु प्रदूषण फैलाने वाले लोगों पर जुर्माना लगाया जा रहा है. बोर्ड अब तक 70 लाख रुपये का जुर्माना लगा चुका है. हर रोज करीब 80 किलोमीटर सड़क पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है. बता दें कि इस समय सर्दियां हैं और लोग अलाव जलाते हैं जिसके कारण उठने वाले धुएं से भी हवा दूषित हो रही है.
क्या है प्रदूषण मापने का पैमाना?
0 से 50 तक AQI- 'अच्छा'
51 से 100- 'सामान्य'
101 से 200 - 'मध्यम'
201 से 300- 'खराब'
301 से 400- 'बहुत खराब'
401 से 500 - 'गंभीर'
एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या होता है?
अन्य इंडेक्स की तरह की ही एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) भी हवा की गुणवत्ता को बताता है. ये बताता है कि हवा में किन गैसों की कितनी मात्रा घुली हुई है. हवा की गुणवत्ता के आधार पर इस इंडेक्स में 6 केटेगरी बनायीं गई हैं. जैसे अच्छी, संतोषजनक, थोड़ा प्रदूषित, खराब, बहुत खराब और गंभीर. जैसे जैसे हवा की गुणवत्ता ख़राब होती जाती है वैसे ही रैंकिंग अच्छी से ख़राब और फिर गंभीर की श्रेणी में आती-जाती है.
अस्थमा के मरीजों को परेशानी
प्रदूषण (Pollution) का स्तर(level) बढ़ने से आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो रही है. दिल्ली-एनसीआर में बढ़ रहे प्रदूषण के चलते अस्थमा के मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी है. प्रदूषण में इतने छोटे कण मौजूद रहते हैं कि इन्हें देखा नहीं जा सकता है और सांस लेने में ये कण फेफड़ों में चले जाते हैं. इससे कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं. इसलिए सांस के मरीज इन दिनों अपना खास ख्याल रखें.
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