अजय कटारा की हत्या के प्रयास मामले में डीपी यादव समेत सभी आरोपी बरी
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अजय कटारा की हत्या के प्रयास मामले में डीपी यादव समेत सभी आरोपी बरी

Ajay Katara Murder Conspiracy: अजय कटारा हत्या के प्रयास मामले में एमपी एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश नेत्रपाल सिंह की अदालत ने डीपी यादव समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. 

Ajay Katara murder conspiracy

Ajay Katara Murder Conspiracy: गाजियाबाद और देश के चर्चित अजय कटारा हत्या के प्रयास मामले में डीपी यादव समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है. एमपी एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश नेत्रपाल सिंह की अदालत ने सबूतों के अभाव के चलते यह फैसला सुनाया है. जुलाई 2007 में गाजियाबाद के थाना साहिबाबाद में अजय कटारा ने खाने में जहर देकर मारने के प्रयास में मुकदमा दर्ज कराया था. अजय नीतीश कटारा हत्याकांड के मुख्य गवाह हैं. 

क्या है पूरा मामला? 
जानकारी के मुताबिक, पूरा मामला साल 2007 का है. अजय कटारा ने थाना साहिबाबाद में 18 जुलाई 2007 को एफआईआर दर्ज कराई थी. जिसके मुताबिक, 11 जुलाई 2007 को रात करीब नौ बजे अनुज शर्मा व मनोज शर्मा उनके घर पर आए. उनका पत्नी तनु चौधरी से विवाद चल रहा था. इसी का समझौता कराने के लिए वह लोग अपनी गाड़ी में बैठकर उन्हें मोहन नगर मंदिर ले गए.  जहां उन्हें यतेंद्र नागर, नंदकिशोर गुर्जर व सलीम खान मिले. उन्होंने कहा तनु चौधरी अभी आ रही हैं. 

इसी दौरान अजय को आलू की टिक्की खाने को दी, जो कड़वी लगने पर उन्होंने फेंक दी. इसके बाद उन्हें कोल्ड ड्रिंक पिलाने की कोशिश की गई, उसे भी उन्होंने फेंक दिया. तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अकेला छोड़कर सारे लोग भाग गए. जिस पर उन्होंने फोन कर अपने दोस्त अरुण और सरदार लखबीर सिंह को बुलाया. दोस्तों ने उन्हें आनन-फानन में हॉस्पिटल पहुंचाया. इलाज के बाद उनकी जान बची. अजय ने आरोप लगाया कि टिक्की और कोल्ड ड्रिंक में जहर था. डॉक्टर ने दबाव में आकर जहर की रिपोर्ट बदलकर फूड प्वाइजनिंग की रिपोर्ट बना दी थी. 

इन लोगों के खिलाफ दर्ज कराया था मुकदमा 
इस घटना के बाद अजय कटारा ने कविनगर निवासी डीपी यादव उर्फ धर्मपाल, कौशांबी निवासी सलीम खान, मधुवन बापूधाम स्थित गार्डन एंक्लेव निवासी तनु चौधरी, अनुज शर्मा, मनोज शर्मा, नंदकिशोर गुर्जर, यतेंद्र नागर के खिलाफ साहिबाबाद थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर समेत चार लोग पहले ही बरी किए जा चुके हैं. वहीं, सबूतों के अभाव में डीपी यादव समेत अन्य तीन लोगों को एमपी/एमएलए कोर्ट ने बरी कर दिया. 

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