ईसाई समुदाय का आरोप प्रार्थना सभा में जाने से रोका जाता है, इलाहाबाद HC करेगा सुनवाई
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ईसाई समुदाय का आरोप प्रार्थना सभा में जाने से रोका जाता है, इलाहाबाद HC करेगा सुनवाई

कोर्ट ने जिला प्रशासन को आदेश दिया कि इन लोगों को प्रार्थना सभा में जाने से कोई ना रोके, इसका ध्यान रखा जाए.

(प्रतीकात्मक फोटो)

इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ईसाई समुदाय द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर एक सप्ताह बाद सुनवाई करने का निर्देश दिया. इस जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि कौशांबी जिले के बिरमेड़ और अहलादपुर गांवों में कुछ लोग ईसाई समुदाय के सदस्यों को रविवार की प्रार्थना सभा में शामिल नहीं होने दे रहे हैं. अदालत ने हालांकि यह स्पष्ट किया कि इस बीच ईसाई समुदाय के लोगों के रविवार की प्रार्थना सभा में शामिल होने पर कोई पाबंदी नहीं रह सकती. अदालत ने जिला प्रशासन को कहा है कि यदि याचिकाकर्ताओं द्वारा कोई गलत या अवैध गतिविधि की जाती है तो वह उनके खिलाफ कार्रवाई करे.

अदालत ने याचिकाकर्ताओं और जिला प्रशासन को पूरी प्रार्थना सभा का वीडियो बनाने का निर्देश दिया. मुख्य न्यायाधीश डी.बी. भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने कौशांबी के रहने वाले रोशन लाल एवं 44 अन्य लोगों द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया. याचिका में आरोप लगाया गया है कि ईसाई धर्म में आस्था रखने वाले लोगों की रक्षा करने के लिए जिला प्रशासन कोई पर्याप्त कदम नहीं उठा रहा है और उन्हें अपने धर्म का पालन नहीं करने दिया जा रहा है.

याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, उन्होंने अपनी शिकायत के साथ जिला प्रशासन से संपर्क किया और असमाजिक तत्वों पर अंकुश लगाने को कहा, लेकिन उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. हालांकि, राज्य सरकार के वकील ने दलील दी कि इनमें से एक भी याचिकाकर्ता ईसाई नहीं है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि ईसाई लोगों को रविवार की प्रार्थना में शामिल होने से रोका जा रहा है.

पूर्व के आदेश के मुताबिक, कौशांबी के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक आज सुनवाई के दौरान उपस्थित रहे. अदालत ने हालांकि सुनवाई की अगली तारीख पर उन्हें उपस्थित रहने से छूट प्रदान की है.

(इनपुट-भाषा)

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