अजान पर AU वीसी की उड़ी नींदः जानिए लाउड स्पीकर से अजान को लेकर क्या हैं नियम
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अजान पर AU वीसी की उड़ी नींदः जानिए लाउड स्पीकर से अजान को लेकर क्या हैं नियम

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 16 मई 2020 में मस्जिद से अजान मामले में एक अहम फैसला सुनाया था. कोर्ट ने कहा था कि लाउड स्पीकर से अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग नहीं है. हालांकि, यह जरूर है कि अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग है. 

अजान पर AU वीसी की उड़ी नींदः जानिए लाउड स्पीकर से अजान को लेकर क्या हैं नियम

प्रयागराज: अभी कुरआन की 26 आयतों को हटाने का विवाद चल ही रहा है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति ने अजान को लेकर एक बड़ी बात कह दी है. कुलपति डॉ. संगीता श्रीवास्तव का कहना है कि सुबह की अजान से उनकी नींद में खलल पड़ता है और पूरा दिन उनका सिर दर्द रहता है. इसके लिए उन्होंने प्रयागराज जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी को पत्र लिखकर कार्रवाई की अपील की है. साथ ही, इसकी कॉपी कमिश्नर प्रयागराज, आईजी रेंज प्रयागराज केपी सिंह और एसएसपी सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी को भी भेजी गई है.

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सुबह की अजान से दिनचर्या पर पड़ता है असर
पत्र लिखकर उन्होंने कहा है कि उनके घर के पास मस्जिद है, जहां रोज सुबह 5.30 बजे लाउड स्पीकर पर अजान होती है. इस वजह से उनकी नींद अचानक खुल जाती है जिस वजह से पूरे दिन उनके सिर में दर्द रहता है और दिनभर के कामकाज पर भी इसका असर पड़ता है. 

कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं हुआ तो होगी कार्रवाई
डॉ. संगीता श्रीवास्तव का कहना है कि वह किसी जाति संप्रदाय या वर्ग के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जिस चीज से लोगों को परेशानी होती है उसे नहीं करना चाहिए.  कुलपति संगीता श्रीवास्तव के पत्र पर आईजी रेंज प्रयागराज केपी सिंह ने कहा मामले की जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. आईजी ने कहा कि निर्धारित मानक के विपरीत लाउडस्पीकर के साउंड की जांच कराएंगे. उन्होंने कहा है कि रात 10.00 बजे से सुबह 6.00 बजे के बीच हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक ध्वनि प्रदूषण नहीं होना चाहिए. ऐसे में निर्धारित डेसीबल से अधिक पब्लिक एड्रेस सिस्टम से आवाज नहीं आनी चाहिए. किसी को ऐसा करने की अनुमति नहीं है. लेकिन अगर बगैर अनुमति के ऐसा हो रहा है तो जांच कराई जाएगी. 

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मोइज्जिन बिना माइक के दे सकते हैं अजान
इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि रमजान के वक्त सुबह 4.00 बजे मस्जिद से सहरी का अनाउंसमेंट किया जाता है, जिससे लोगों को परेशानी होती है. कुलपति ने अपने पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि 'आपकी स्वतंत्रता वहीं खत्म हो जाती है, जहां से किसी की नाक शुरू हो'. इसलिए मौलवी बिना माइक के भी अजान दे सकते हैं, ताकि दूसरों को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े और उनकी दिनचर्या भी प्रभावित न हो.

जिलाधिकारी से की कार्रवाई की मांग
संगीता श्रीवास्तव का कहना है कि संविधान में पंथ निरपेक्ष और शांतिपूर्ण सौहार्द वाले भारत की परिकल्पना की गई है. इसके अलावा उन्होंने 2020 की जनहित याचिका 570 का भी हवाला दिया है. उन्होंने कहा है कि जिलाधिकारी अगर कार्रवाई करते हैं तो लोगों को लाउड स्पीकर से होने वाली अनिद्रा से निजात मिलेगी. 

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सोनू निगम ने भी उठाई थी इसके खिलाफ आवाज
आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब लाउड स्पीकर पर होने वाली अजान के खिलाफ किसी ने शिकायत की है. इससे पहले अप्रैल 2018 में बॉलीवुड सिंगर सोनू निगम भी इस मुद्दे को उठाने के बाद विवादों में आ गए थे. उन्होंने एक सीरीज में कई ट्वीट कर स्पीकर पर होने वाली अजान पर सवाल उठाए थे. उन्होंने इसे जबरदस्ती करने वाली धार्मिकता (Forced Religiousness) बताया था. इसके लिए लोगों ने उनके खिलाफ भी आवाज उठाई थी और उनकी मानसिकता को असंवेदनशील और अपमानजनक करार दिया था. 

जावेद अख्तर ने किया था समर्थन
हालांकि, बॉलीवुड के ही कई दिग्गज कलाकारों ने उनका समर्थन किया था, जिनमें से एक जावेद अख्तर भी थे. जावेद अख्तर ने ट्वीट कर लिखा था, 'इस बात को रिकॉर्ड में रखा जाना चाहिए कि मैं सोनू निगम सहित उन सभी से पूरी तरह सहमत हूं, जो चाहते हैं कि लाउड स्पीकरों का इस्तेमाल मस्जिदों द्वारा नहीं किया जाना चाहिए.' हालांकि, उन्होंने केवल मस्जिद नहीं, बल्कि किसी भी धार्मिक संस्थान जैसे मंदिर, गुरुद्वारा, आदि द्वारा लाउड स्पीकर के उपयोग को गलत बताया था. 

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हाई कोर्ट ने दिया था बिना माइक के अजान देने का निर्देश
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 16 मई 2020 में मस्जिद से अजान मामले में एक अहम फैसला सुनाया था. कोर्ट ने कहा था कि लाउड स्पीकर से अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग नहीं है. हालांकि, यह जरूर है कि अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग है. इसलिए मस्जिदों से मोइज्जिन बिना लाउडस्पीकर अजान दे सकते हैं. साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा था कि ध्वनि प्रदूषण मुक्त नींद का अधिकार व्यक्ति के जीवन के मूल अधिकारों का हिस्सा है. किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है. उस दौरान कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया था कि जिलाधिकारियों से इसका अनुपालन कराएं. 

अजान की आवाज पर बने नियम
2018 में ही बॉम्बे हाई कोर्ट के सामने भी ऐसा ही मामला आया था. उस दौरान बताया गया था कि The Noise Pollution Control and Regulation Rules of 2000 के अनुसार  लाउड स्पीकर एक निर्धारित वॉल्यूम पर ही इस्तेमाल किए जाएंगे. दिन के समय 50 डेसीबल और रात के समय 40 डेसीबल पर ही इनका उपयोग किया जा सकता है.

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