Aligarh Muslim University: भारतीय संविधान सभी धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनका प्रशासन करने का अधिकार देता है. शीर्ष अदालत का कहना है कि यह प्रावधान अल्पसंख्यक समुदायों के विकास और वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए है.
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Aligarh Muslim University: सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ ने आज 4:3 बहुमत से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय पर 1967 के एक महत्वपूर्ण फैसले को पलट दिया. जिसमें कि विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा समाप्त कर दिया गया था लेकिन इस बात का निर्णय तीन न्यायाधीशों की पीठ पर छोड़ दिया कि क्या संस्थान को यह दर्जा फिर से दिया जाना चाहिए. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर विवाद आज का नहीं है.
1967 का फैसला क्या था?
1967 में जब 'लॉर्ड रेक्टर' के पद को 'विजिटर' से बदलना था तब भी यह बात उठी थी. आगे चलकर गैर-मुसलमानों को यूनिवर्सिटी कोर्ट का हिस्सा बनने की अनुमति मिली. सर्वोच्च न्यायालय ने माना था कि भले ही मुसलमानों ने 1920 में विश्वविद्यालय की स्थापना की लेकिन इससे भारत सरकार द्वारा उनकी डिग्री की आधिकारिक मान्यता की गारंटी नहीं मिलती. कोर्ट ने माना था कि एएमयू एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है, इसलिए इसे अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता. बाद में केंद्र सरकार ने 1981 में एएमयू अधिनियम में संशोधन किया और एएमयू अधिनियम की धारा 2(L) और उपधारा 5(2)(C) को जोड़कर स्पष्ट रूप से इसे अल्पसंख्यक दर्जा दिया. हालांकि, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले में 1981 के कानून को नहीं माना. ये मामला तब से सुप्रीम कोर्ट में है. मौजूदा केंद्र सरकार एएमयू को अल्पसंख्यक दर्जा नहीं देना चाहती जबकि पहली की सरकार ऐसा चाहती थी. अब सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय होने से एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा खत्म नहीं हो जाता.
मुसलमानों के लिए आरक्षण
2005 में, एएमयू ने मुसलमानों के लिए 50% सीटें आरक्षित की थीं. हालांकि, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस आरक्षण को रद्द कर दिया था. हाईकोर्ट ने तर्क दिया था कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है.
अल्पसंख्यक दर्जे का मतलब क्या है
1. अल्पसंख्यक दर्जे की परिभाषा: किसी विशिष्ट धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यक समूह द्वारा स्थापित या प्रशासित शैक्षणिक संस्थान को अल्पसंख्यक दर्जा दिया जाता है.
2. ऐसे संस्थान सामान्य शैक्षिक क़ानूनों द्वारा शासित होने पर भी अल्पसंख्यक संस्थान बने रहते हैं.
3. वे धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष पाठ्यक्रम पढ़ा सकते हैं.
4. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत, अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और चलाने का अधिकार है.
बीते सालों में एएमयू को मिला कितना अनुदान
आपको बता दें कि एएमयू अपने कामकाज के लिए सरकार से अनुदान प्राप्त करती है. सरकार की ओर से विश्वविद्यालय के लिए बजट तय होता है. वर्ष 2022-23 में एएमयू को 1180 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1552. 30 करोड़ रुपये दिए गए थे. 2019-23 के बीच एएमयू को 5467 करोड़ रुपये सरकार की ओर से दिए गए थे.
मोदी सरकार में एएमयू को मिले इतने करोड़ रुपए
2014-15 में 673 करोड़
2015-16 में 825 करोड़
2016-17 में 894 करोड़
2017-18 में 1106 करोड़
2018-19 में 1009 करोड़
2019-20 में 1180 करोड़
2020-21 में 1520 करोड़
2021-22 में 1214 करोड़
आपको बता दें कि समय के साथ यूनिवर्सिटी को यूजीसी, डीएसटी, डीबीटी, आईसीएआर, एमएचआरडी, सीसीआरयूएम, डीएई और एनएचएम आदि से अनुदान में काफी वृद्धि हुई है. विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), शिक्षा मंत्रालय , केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (सीसीआरयूएम), परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई), अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय (एमएमए) और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) आदि द्वारा अनुदान मिलता है.
संविधान क्या कहता है
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 30 (1) सभी धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनका प्रशासन करने का अधिकार देता है. शीर्ष अदालत का कहना है कि यह प्रावधान अल्पसंख्यक समुदायों के विकास और वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए है. सरकार अल्पसंख्यक संस्थानों की स्थिति के आधार पर सहायता देने में भेदभाव नहीं कर सकती. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 26 प्रत्येक धार्मिक संप्रदाय (या उसके किसी भी भाग) को धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संस्थाएं स्थापित करने और बनाए रखने का अधिकार प्रदान करता है. संविधान का अनुच्छेद 28 कुछ शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक पूजा में भाग लेने के बारे में स्वतंत्रता प्रदान करता है.
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