अटल बिहारी वाजपेयी का यूपी से गहरा नाता रहा है. उन्होंने कानपुर से राजनीति शास्त्र में एमए किया और राजनीति में आए.
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नई दिल्ली: देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अंतिम सांस ली. वो पिछले 9 हफ्ते से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती थे. बुधवार (15 अगस्त) की शाम से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी. उन्हें एम्स में वेंटीलेटर पर रखा गया था. उनकी मौत हर कोई स्तब्ध है. भारत की राजनीति में अटल जी का ऐसा व्यक्तित्व है जिन्हें विरोधी भी पसंद करते हैं. अटल जी जैसा वक्ता बिरले ही पैदा होते हैं. यही वजह है कि चाहे सदन हो या जनसभा जब भी वे बोलते थे तो उन्हें सुनने के लिए सभी आतुर रहते थे. अटल बिहारी वाजपेयी का यूपी से गहरा नाता रहा है. उन्होंने कानपुर से राजनीति शास्त्र में एमए किया और राजनीति में आए.
बलरामपुर से पहली बार पहुंचे संसद
1957 में पहली बार अटल जी यूपी के बलरामपुर लोकसभा संसदीय क्षेत्र से संसद पहुंचे. वे जनसंघ पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए. अटल बिहारी वाजपेयी ने कांग्रेस के हैदर हुसैन को पराजित किया था.
प्रखर वक्ता के रूप में वाजपेयी जब लोकसभा में मुखर हुए तो कांग्रेस ने अगले चुनाव 1962 में उन्हें रोकने के लिए सुभद्रा जोशी को मैदान में उतारा और सुभद्रा जोशी ने चुनाव में उन्हें 200 मतों से मात दी.
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1967 में सुभद्रा जोशी को हराया
साल 1967 के चुनावी मैदान में अटल बिहारी वाजपेयी के सामने सुभद्रा जोशी थी. 1962 में सुभद्रा जोशी से हारने के बाद 1967 में उन्होंने चुनावी दंगल में सुभद्रा जोशी को हराया और फिर से संसद में पहुंचे. 15 सालों तक बलरामपुर की सक्रिय राजनीति में कायम रहे. इसके बाद वे लखनऊ से कई बार सांसद रहे. 2005 में उन्होंने राजनीतिक जीवन से संन्यास ले लिया.
लखनऊ से रहा खास लगाव
अटल मध्य प्रदेश से थे, लेकिन उत्तर प्रदेश के लखनऊ से उनका खास लगाव था. 1991 में वह पहली बार लखनऊ से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे. इसके बाद वे प्राय: सभी लोकसभा चुनाव में (1980 को छोड़कर) अन्य स्थानों के अलावा लखनऊ से भी उम्मीदवार हुआ करते थे. अटल बिहारी वाजपेयी को लखनऊवासी सिर्फ अटलजी कहकर संबोधित करते हैं. लखनऊ अटल बिहारी की कर्मभूमि है.
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मुंबई के शिवाजी पार्क में दिया था आखिरी भाषण
वाजपेयी एक-दो साल नहीं करीब 8 साल से बिस्तर पर थे. अपनी ओजस्वी आवाज शानदार भाषण शैली को लेकर जनता को बीच लोकप्रिय वाजपेयी साल 2005 में आखिरी बार किसी जनसभा को संबोधित किया था. यह जनसभा मुंबई के शिवाजी पार्क में हुई थी. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की रजत जयंती समारोह में उन्होंने आखिरी बार जनसभा को संबोधित किया था. इसके बाद वे दोबारा कभी भी किसी जनसभा में नहीं बोले. इस जनसभा में वाजपेयी ने सबसे छोटा भाषण दिया था. उन्होंने पार्टी में लालकृष्ण आडवाणी और प्रमोद महाजन को राम-लक्ष्मण की जोड़ी करार दिया था.