ATLAS साइकिल ने अपना आखिरी कारखाना किया बंद, अब हजार कर्मचारियों पर रोजी-रोटी का संकट
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ATLAS साइकिल ने अपना आखिरी कारखाना किया बंद, अब हजार कर्मचारियों पर रोजी-रोटी का संकट

जिस विश्व साइकिल दिवस को दुनिया भर में साइकिलिंग को बढ़ावा देने के मकसद से मनाया जाता है, उसी दिन भारत के प्रमुख साइकिल ब्रांड एटलस का उत्पादन पूरी तरह बंद हो गया. 

कंपनी बंद होने से हजार कर्मचारियों पर गहराया रोजी-रोटी का संकट.

गाजियाबाद: देश की सबसे बड़ी बाईसाइकिल बनाने वाली कंपनी में शुमार ATLAS साइकिल ने गाजियाबाद के साहिबाबाद स्थित अपने आखिरी कारखाने को भी बंद करने का ऐलान कर दिया है. विश्व साइकिल दिवस पर कारखाने के बाहर कंपनी बंद होने का नोटिस चस्पा देख हजार कर्मचारियों के पैरों तले जमीन खिसक गई.

जिस विश्व साइकिल दिवस को दुनिया भर में साइकिलिंग को बढ़ावा देने के मकसद से मनाया जाता है, उसी दिन भारत के प्रमुख साइकिल ब्रांड एटलस का उत्पादन पूरी तरह बंद हो गया. फैक्ट्री में काम करने वाले मुकेश ने बताया कि जानकी दास कपूर ने बंटवारे के वक्त कराची से सोनीपत आकर 1951 में ATLAS साइकिल्स की नींव डाली थी और देखते ही देखते ये कंपनी देश में साइकिल की पर्यायवाची बन गईं. लेकिन, अब इस कंपनी ने आर्थिक तंगी के चलते अपना आखिरी कारखाना भी बंद कर दिया है.

उन्होंने बताया कि बुधवार की सुबह जब काम पर पहुंचे तो गार्ड ने अंदर नहीं घुसने दिया. कंपनी के गेट पर ले-ऑफ नोटिस लगा था, जिसमें कंपनी के प्रबंधक की ओर से बताया गया था कि संचालकों के पास फैक्ट्री चलाने के लिए रकम नहीं है. कच्चा माल खरीदने तक के पैसे नहीं हैं. इसलिए कर्मचारियों को तीन जून से ले-ऑफ करने के लिए कहा गया है.
 
ATLAS साइकिल के कारखाने में काम करने वाले कर्मचारियों ने बताया कि साहिबाबाद में फैक्ट्री 1989 से चल रही थी. लॉकडाउन से पहले हर महीने 2 लाख साइकिलें बनाई जा रही थीं. इस हिसाब से पूरे साल में कंपनी करीब 50 लाख साइकिलों को बनाती थी. लेकिन, अब हालत ये हैं कि मई का वेतन भी नहीं मिला है.

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