नई दिल्‍ली: अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में पांचवें दिन की सुनवाई में मंगलवार को सबसे पहले रामलला विराजमान की ओर से पेश वरिष्ठ वकील के परासरन ने अपनी बहस पूरी करते हुए कहा कि पूर्ण न्याय करना सुप्रीम कोर्ट के विशिष्ट क्षेत्राधिकार में आता है. उसके बाद इसी पक्ष के लिए सीएस वैद्यनाथन ने दलीलें रखीं. सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि 1949 से बाबरी मस्जिद में नमाज़ अदा नहीं की गई. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में भी ये ही लिखा है. हाई कोर्ट के फैसले में तीनों जजों ने ये बात मानी थी हालांकि जस्टिस एस यू खान ने इससे थोड़ा अलग नजरिया रखा था, लेकिन उन्होंने भी पूरी तरह से मंदिर के होने से इनकार नहीं किया था.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

उन्‍होंने कहा कि 1949 में मूर्ति रखे जाने से पहले भी ये स्थान हिंदुओं के लिये पूजनीय था. हिंदू दर्शन करने जाते थे... किसी स्‍थान के पूजनीय होने के लिए सिर्फ मूर्ति की जरूरत नहीं है. इस मामले में गंगा, गोवर्धन पर्वत का भी हम उदाहरण ले सकते हैं...अयोध्या मामले में 72 साल के गवाह हाशिम ने कहा था कि अयोध्या हिंदुओं के लिए पवित्र है जैसे मक्का मुसलमानों के लिए पवित्र है.


इस पर सुप्रीम कोर्ट ने राम लला के वकील से कहा कि अगर आपका पोजेशन विवादित स्थल पर मुस्लिम पक्षकार के साथ- साथ था तो फिर आपका एक्‍सक्‍लूसिव राइट कैसे हो सकता है ये बताइये?


उल्‍लेखनीय है कि अयोध्या मामले में पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन से कहा था कि अगर आप बीच में छुट्टी लेना चाहें तो ले सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने धवन से कहा था कि अगर वह आराम करना चाहें तो किसी भी दिन अदालत को बता कर छुट्टी कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि सप्ताह में 5 दिन ही सुनवाई होगी. इस अवधि में कोई कटौती नहीं की जाएगी और रोजाना सुनवाई होगी.


पिछली सुनवाई में रामलला की तरफ से पेश वकील परासरन ने कहा था कि हम ये नहीं कह रहे कि पूरी अयोध्या ज्यूरिस्ट परसन है और हम जन्मभूमि की बात कह रहे हैं. जस्टिस बोबड़े ने पूछा था कि क्या इस समय रघुवंश कुल में कोई इस दुनिया में मौजूद है. परासरण ने कहा था कि मुझे नहीं पता.


LIVE TV



अयोध्‍या केस: 'देवता को सजीव प्राणी माना जाता है और उन्‍हें घर का स्वामी माना जाता है'


परासरन ने रामायण में उल्लेख था कि सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए और रावण के अंत करने की बात कही तब विष्णु ने कहा था कि इसके लिए उन्हें अवतार लेना होगा. इस बारे में जन्मभूमि का वर्णन किया गया है और इसका महत्व है. हिन्दू शास्त्र में जन्मस्थान की महत्ता स्पष्ट है और हिन्दुओं से संबंधित कानून उसी शास्त्र पर आधारित है. मंदिर की परिक्रमा के साथ पूरे परिसर की परिक्रमा भगवान की आराधना है. परासरण ने पुष्कर, मधुरई समेत तमाम स्थानों का उदाहरण दिया था.


पिछले गुरुवार को रामलला विराजमान की तरफ से जारी बहस में पेश वकील के परासरन ने 'जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादिप गरीयसि' संस्‍कृत श्लोक का हवाला देते हुए कहा था कि जन्मभूमि बहुत महत्वपूर्ण होती है. राम जन्मस्थान का मतलब एक ऐसा स्थान जहां सभी की आस्था और विश्वास है.


कांग्रेस अयोध्‍या केस को लंबा खिंचवा रही, सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड को पाकिस्‍तान से फंडिंग : राम विलास वेदांती


जस्टिस अशोक भूषण ने रामलला के वकील से पूछा था कि क्या कोई जन्मस्‍थान एक न्यायिक व्यक्ति हो सकता है?.हम एक मूर्ति को एक न्यायिक व्यक्ति होने के बारे में समझते हैं, लेकिन एक जन्‍मस्‍थान पर कानून क्या है? रामलला के वकील के परासरन ने कहा था कि यह एक सवाल है जिसे तय करने की जरूरत है. जस्टिस बोबड़े ने उत्तराखंड HC के फैसले का ज़िक्र किया जिसमें नदी को जीवित व्यक्ति बताते हुए अधिकार दिया गया था. इस बीच सुनवाई शुरू होते ही सुब्रह्मण्यम स्वामी ने अपनी रिट याचिका का कोर्ट में खड़े होकर ज़िक्र करना चाहा लेकिन कोर्ट ने उन्हें रोक दिया था.


'क्‍या राम की तरह किसी गॉड का केस कोर्ट में आया? जीसस कहां पैदा हुए, इस पर सवाल उठा?'


सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उचित समय आने पर उन्हें सुनेंगे. स्वामी ने याचिका में रामलला की पूजा अर्चना के अबाधित मौलिक अधिकार की मांग की थी. रामलला विराजमान ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि हिन्दुओं को पूजा के अधिकार से वंचित रखना अपने आप में भगवान यानी रामलला को अदालत का दरवाजा खटखटाने का अधिकार प्रदान करता है, क्योंकि जिस तरह गंगा सजीव हैं उसी तरह रामलला. कोर्ट ने दूसरे पक्षों से पूछा जो अपील फ़ाइल की गई है सूट 5 में क्या उनको अलग से सुना जाए. मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि जब वो अपनी अपील पर बहस करेंगे, तब वो अपना पक्ष रखेंगे.


(इनपुट: महेश गुप्‍ता के साथ)