Ayodhya Ram Mandir:अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा (Ram Mandir Pran Pratistha in Ayodhya) का कार्यक्रम 22 जनवरी को होगा. मंदिर के उद्घाटन की तैयारियां एकदम युद्धस्तर पर चल रही हैं. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने समारोह में 7,000 से अधिक लोगों को आमंत्रित किया है. निर्माण कार्य के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव और श्रीराम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा राममंदिर के निर्माण की हर गतिविधि में शामिल है. कोई कोर-कसर न रह जाए इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं. नृपेंद्र मिश्र (Nripendra Mishra) मंदिर निर्माण की निगरानी करते हैं. आइए जानते हैं कि कौन हैं ये नृपेंद्र मिश्रा जिनको पीएम मोदी ने राममंदिर की बड़ी जिम्मेदारी दी.


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पढ़ें कौन हैं नृपेंद्र मिश्रा?


PM मोदी के नवरत्नों में से एक
जब भारतीय जनता पार्टी की साल 2014 में बहुमत से सरकार बनी तो प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही नरेंद्र मोदी ने अपनी टीम के लिए 'नवरत्नों' की तलाश शुरू कर दी थी. सूत्रों के मुताबिक अपने प्रुमख सचिव पद के लिए उन्हें ऐसा अफसर चाहिए था, जिसे न केवल केंद्र में काम करने का लंबा अनुभव हो,और उस पर किसी तरह का आरोप भी न लगा हो. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश की भी नस-नस से अच्छी तरह वाकिफ हो. जिससे दिल्ली से बैठे-बैठे यूपी के लिए भी रणनीति बनाई जा सके. मोदी की यह खोज 1967 बैच के रिटायर्ड आईएएस नृपेंद्र मिश्रा पर जाकर खत्म हुई. नृपेंद्र मिश्रा मोदी के हर  पैमाने पर पूरी तरह फिट बैठे. आइए जानते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव और श्रीराम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा के बारे में.


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नृपेंद्र मिश्रा ने उत्तर-प्रदेश जैसे बड़े राज्य में दो-दो मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया है. साल 2014 में प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव बने.  पिछले कार्यकाल में अपने काम से पीएम मोदी का भरोसा जीतने में सफल रहे नृपेंद्र मिश्रा दोबारा  प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव बने.प्रधानंत्री के प्रमुख सचिव का काम पीएमओ और कैबिनेट सचिवालय के बीच मुख्य कड़ी बनकर समन्वय करने का होता है.


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ट्राई के चेयरमैन पद पर रहे 
रिटायर होने के बाद नृपेंद्र मिश्रा 2006 से 2009 के बीच ट्राई के चेयरमैन पद पर रहे थे. नियम के मुताबिक ट्राई का चेयरमैन आगे चलकर केंद्र या राज्य सरकार में कोई पद धारण नहीं कर सकता था. यह नियम जब नृपेंद्र मिश्रा की राह में रोड़ा बना तो मोदी सरकार ने ट्राई एक्ट में अध्यादेश के जरिए संशोधन किया जिससे उनके प्रमुख सचिव बनने का रास्ता साफ हो गया. यह कदम भी पीएम मोदी का उनके प्रति भरोसे का सबूत माना जाता है.


थिंकटैंक से जुड़े
ट्राई के चेयरमैन पद से रिटायर होने के बाद नृपेंद्र मिश्रा पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन (PIF) से जुड़े. यह फाउंडेशन समाज में हाशिए पर पहुंचे लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए एक थिंकटैंक के रूप में काम करने के लिए जाना जाता है. 


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पीएमओ संभालने का बुलावा
जब 2014 में बहुमत से बीजेपी की सरकार बनी तो नरेंद्र मोदी की ओर से उन्हें पीएमओ संभालने के लिए बुलावा आया. जिसके बाद नृपेंद्र मिश्रा ने पीआईएफ का काम छोड़कर पीएमओ में चार्ज संभाला.


मुलायम-कल्याण-मनमोहन
केंद्र-राज्य में काम का लंबा अनुभव रहा है. यूपी काडर के आईएएस नृपेंद्र मिश्रा कभी मुलायम सिंह यादव और कल्याण सिंह सरकार में प्रमुख सचिव रहे. इस बड़े राज्य में काम करते हुए उन्होंने तेजतर्रार और ईमानदार अफसर की पहचान बनाई. सेवानिवृत होने के बाद मनमोहन सरकार में वह 2006 से 2009 के बीच टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के भी चेयरमैन रहे.


केंद्र में कई अहम पदों पर किया काम
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस में सचिव रहे. डिपार्टमेंट ऑफ फर्टिलाइजर्स में भी 2002 से 2004 के बीच सचिव रहे. 


यूपी के देविरया जन्मस्थान, विदेशों में भी की पढ़ाई
नृपेंद्र मिश्रा का जन्म यूपी के देवरिया में कसिली गांव में हुआ. सिवेशचंद्र मिश्रा के बड़े बेटे नृपेंद्र का जन्म आठ मार्च 1945 को हुआ. वह तीन-तीन विषयों से मास्टर्स हैं. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से उन्होंने केमेस्ट्री, राजनीतिक विज्ञान और लोक प्रशासन विषय से पोस्ट ग्रेजुएट किया. उन्होंने विदेश में भी पढ़ाई की. उन्होंने कामजॉन एफ कैनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट, हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी जैसे संस्थान से पढ़ाई की. उन्होंने विश्व व्यापार संगठन(डब्ल्यूटीओ) में स्पेशल सेक्रेटरी के तौर पर काम  किया. फिर 1967 में यूपी काडर आईएएस बने. इसके अलावा वह मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स में ज्वाइंट सेक्रेटरी रहे. वर्ल्ड बैंक, एशियन डिवेलपमेंट बैंक, नेपाल सरकार में सलाहकार के रूप में कार्य किया. 


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