Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में 22 जनवरी को रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा से पहले बिहार में भी उल्लास और उमंग है. भगवान रामलला के लिए ससुराल से वस्त्र, फल, मेवा और चांदी के आभूषण आए हैं.
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Ayodhya Ram Mandir: नेपाल के जनकपुर धाम से चली भार यात्रा अयोध्या पहुंच गई है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए ससुराल से उपहार भेजे गए हैं. भगवान रामलला के लिए ससुराल से वस्त्र, फल, मेवा और चांदी के आभूषण आए हैं. जनकपुरवासी 1100 सजे थार को लेकर अयोध्या पहुंचे हैं. ये यात्रा जनकपुर से निकलकर देर रात अयोध्या कारसेवकपुरम पहुंची. भारत में आते ही भार यात्रा का जोरदार स्वागत किया गया.
नेपाल के जनकपुर धाम यानी माता सीता की जन्मस्थली से राम की जन्मस्थली अयोध्या तक 1100 टोकरी लेकर 251 लोगों का जत्था रवाना हुआ. ये टोली बेतिया पहुंची तो उनका भव्य स्वागत किया गया. इस दौरान यात्रा में शामिल महिलाएं काफी खुश थीं. उन्होंने कहा कि सीता उनकी बहन हैं और वो अपने जीजा श्री राम के घर जा रही हैं.
क्या-क्या आया है भार यात्रा में?
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए यज्ञ से पूर्व मिथिला की परंपरा के अनुसार रथ से मेवा और चांदी के बर्तन, तीर, धनुष, खड़ाऊ, फल-फूल आदि खाद्य सामग्री सहित कई अन्य वस्तुएं हैं.
गोरखपुर के रास्ते से Ayodhya पहुंची
जनकपुरधाम से निकली यह भार यात्रा महोत्तरी के जलेश्वर, सर्लारी के मलंगवा होते हुए सिमरौनगढ़ तक की यात्रा करने के बाद प्रसिद्ध गढ़ीमाई के मन्दिर में विशेष पूजा समेत दर्शन करने के बाद बीरगंज में रात्रि विश्राम किया. 5 जनवरी को बीरगंज से बाल्मिकीनगर, बेतिया, बगहा Kushinagar , सिद्धार्थनगर होते हुए गोरखपुर के रास्ते रात तक Ayodhya पहुंची. 6 जनवरी को जानकी मन्दिर के तरफ से श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को यह भार समर्पण किया जाएगा.
गोरखपुर में शानदार स्वागत
इससे पहले गोरखपुर पहुंचने पर भार यात्रा का जोरदार स्वागत किया गया. भारत औऱ नेपाल के श्रद्धालु उत्साह में दिखे. भार यात्रा के गोरखपुर पहुंचने पर लोगों ने श्रीराम के जयकारे लगाए. फिर इसके बाद अयोध्या की ओर यात्रा रवाना हुई. मिथिला की परंपरा के अनुसार दो ट्रकों में सौगात और उपहार भेजे गए. भारत-नेपाल सीमा पहुंचने पर भार यात्रा का हिस्सा बने श्रद्धालुओं की जमकर खातिरदारी हुई.
15 जनवरी के बाद से ही अयोध्या नगरी में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा आयोजन से संबंधित धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत हो जाएगी. आने वाले समय में काशी विद्वत परिषद के आठ विद्वानों का समूह 9 जनवरी को अयोध्या पधारेगा.
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