बाराबंकी: परिवार के सभी बच्चों ने पी थी '2 बूंद जिंदगी की', फिर भी हो गया पोलियो
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बाराबंकी: परिवार के सभी बच्चों ने पी थी '2 बूंद जिंदगी की', फिर भी हो गया पोलियो

पीड़ित बच्चों की मां ने कहा कि मेरे सभी बच्चे 10 वर्ष के होने के बाद पोलियो से पीड़ित हो गए. मैं उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गई और उसके बाद कुछ निजी डॉक्टरों के पास ले गई, लेकिन कोई फायदा नहीं मिला.

अधिकारियों का कहना है कि अपंगता शायद अनुवांशिक लक्षणों के कारण हुई है.

बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में एक ही परिवार के चार लोग समय पर पोलियो की वैक्सीन लेने के बावजूद पोलियो से प्रभावित हो गए हैं. यह परिवार हैदरगढ़ कस्बे में भटगावन गांव में रहता है, जिसमें सबिन (18), नसीम (21), खलील (20) और रियाज (17) अलग-अलग चरण में दिव्यांग हैं. उनके पिता का 10 साल पहले कैंसर से निधन हो चुका है.

इनकी मां हसीगुल ने कहा कि मेरे सभी बच्चे 10 वर्ष के होने के बाद पोलियो से पीड़ित हो गए. मैं उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गई और उसके बाद कुछ निजी डॉक्टरों के पास ले गई, लेकिन कोई फायदा नहीं मिला. हमारे सभी बच्चों ने समय पर पोलियो वैक्सीन ली थीं.

चारों ने प्राथमिक शिक्षा ली है और सिर्फ सबसे बड़े लड़के ने मैट्रिक की परीक्षा दी है. हसीगुल दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालती हैं और एक छोटा जनरल स्टोर चलाती हैं जिसे उनके बच्चे देखते हैं.

स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ डॉक्टरों को जब इस मामले की जानकारी दी गई, तो उन्होंने कहा कि इनमें अपंगता शायद अनुवांशिक लक्षणों के कारण हुई है. हसीगुल के मायके पक्ष में पोलियो का कोई मामला नहीं है.

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उन्होंने कहा कि लक्षण पोलियो के हैं, लेकिन इसके कारणों का पता लगाने के लिए उन्नत स्वास्थ्य जांच कराने की आवश्यकता है. हसीगुल के जिला मुख्यालय पर कई आवेदन करने के बावजूद परिवार को सरकार से कोई सहायता नहीं मिली है. बच्चों को दिव्यांगता प्रमाण पत्र तक नहीं दिए गए हैं और परिवार के पास सिर्फ राशन कार्ड है.

जिला दिव्यांग अधिकारी रजनीश किरन ने कहा कि दिव्यांगता प्रमाण पत्र सिर्फ उचित स्वास्थ्य प्रमाण पत्र के बाद ही जारी किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि बच्चों को इसके बाद दिव्यांगता पेंशन मिल सकती है.

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