याचिका में कहा गया है कि देवस्थानम बोर्ड के माध्यम से सरकार द्वारा चारधाम समेत 51 अन्य मंदिरों का प्रबंधन लेना संविधान के अनुच्छेद 25 व 26 का उल्लंघन है.
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नैनीताल: चारधाम देवस्थानम बोर्ड को लेकर शुक्रवार को 5वें दिन भी नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. आज हुई सुनवाई में रुलक संस्था ने अपना पक्ष रखा. वहीं सोमवार को याचिकाकर्ता डॉक्टर सुब्रह्मण्यम स्वामी अपना पक्ष रखेंगे.
देवस्थानम बोर्ड के पक्ष में खड़ी रुलक संस्था के वकील ने चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आरसी खुल्बे की बेंच के सामने कई ऐतिहासिक और धार्मिक तथ्य रखे. अपनी दलील में रुलक संस्था ने एटकिंसन के गजेटियर का भी हवाला दिया. रुलक संस्था की तरफ से कहा गया कि बद्रीनाथ मंदिर में भ्रष्टाचार के मद्देनजर ब्रिटिश सरकार ने बद्रीनाथ-केदारनाथ एक्ट बनाकर दोनों धामों का प्रबंधन अपने हाथ में लिया था.
रुलक संस्था ने हाल ही में अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसला को भी हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया. जिसमें कहा गया है कि गजेटियर को आधार बनाया जा सकता है.
वहीं, देवस्थानम बोर्ड को चुनौती देने वाले बीजेपी नेता डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी को कोर्ट ने सोमवार को अपना पक्ष रखने के लिए कहा है. बता दें कि याचिका में कहा गया है कि देवस्थानम बोर्ड के माध्यम से सरकार द्वारा चारधाम समेत 51 अन्य मंदिरों का प्रबंधन लेना संविधान के अनुच्छेद 25 व 26 का उल्लंघन है.