लखनऊ: 2019 लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में सपा और बीएसपी का गठबंधन बनने की खबर पर तकरीबन मुहर लग चुकी है. इन सबके बीच उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी ने रविवार को कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में सीधे तौर पर खुद को घिरता देख सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव बीएसपी से बेमेल गठबंधन करने को बेताब हो गए हैं. अखिलेश ने अपने पांच साल के कार्यकाल में शायद ही कोई ऐसा कार्यक्रम या आयोजन रहा हो जिसमें उन्होंने बीएसपी के शासनकाल में फैले भ्रष्टाचार का जिक्र नहीं किया हो. 


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प्रदेश भाजपा प्रवक्ता चंद्रमोहन ने कहा कि इस तरह से सपा और बीएसपी का गठबंधन बीजेपी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के खिलाफ भ्रष्टाचारियों का गठबंधन है. ये दोनों पार्टियां लाख गठबंधन कर लें जनता की नजर में ये भ्रष्ट पार्टियां ही रहेंगी. लोकसभा चुनाव में जनता एक बार फिर भ्रष्टाचार के संरक्षकों के नापाक गठबंधन को सबक सिखाएगी. उन्होंने कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को उनके मुख्यमंत्री काल में हुए अवैध खनन मामले पर जवाब देना चाहिये.


प्रदेश भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि सीबीआई जांच में पूर्ववर्ती सपा सरकार के शासनकाल में हुए अवैध खनन की परतें अब खुलने लगी हैं. शनिवार को सीबीआई द्वारा सपा सरकार के दौरान प्रमुख पदों पर तैनात रहीं आइएएस अधिकारी बी. चंद्रकला, खनन विभाग के कर्मचारियों और ठेकेदारों के ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई से पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की कार्यप्रणाली भी कठघरे में आ गई है. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को खुद के ऊपर उठ रहे सवालों के जवाब देने चाहिए. आखिर उन्होंने अपने कार्यकाल में अधिकारियों, नेताओं को अवैध खनन की छूट क्यों दे रखी थी? 


(इनपुट भाषा से)