जेल में बंद माफिया-नेता मुख्तार अंसारी ने बचाई बसपा की लाज, बेटा और भाई हारे
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जेल में बंद माफिया-नेता मुख्तार अंसारी ने बचाई बसपा की लाज, बेटा और भाई हारे

हत्या समेत कई आरोपों के मामले में जेल में बंद माफिया-नेता मुख्तार अंसारी बसपा के टिकट पर उत्तर प्रदेश की मउ विधानसभा सीट से चुनाव जीतने में सफल रहे, मगर दो अन्य सीटों पर चुनाव लड़ रहे उनके बेटे और भाई को हार का सामना करना पड़ा.

  बाहुबली मुख्तार अंसारी ने बचाई बसपा की लाज

लखनऊ: हत्या समेत कई आरोपों के मामले में जेल में बंद माफिया-नेता मुख्तार अंसारी बसपा के टिकट पर उत्तर प्रदेश की मउ विधानसभा सीट से चुनाव जीतने में सफल रहे, मगर दो अन्य सीटों पर चुनाव लड़ रहे उनके बेटे और भाई को हार का सामना करना पड़ा.

मुख्तार की पार्टी कौमी एकता दल का विधानसभा चुनाव से पहले बसपा में विलय कर दिया गया था. मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी मउ जिले की घोसी सीट से जबकि भाई सिबगतुल्ला अंसारी गाजीपुर जिले की मुहम्मदाबाद (यूसुफपुर) सीट से चुनाव लड़ रहे थे, मगर इन दोनों को ही पराजय का मुंह देखना पड़ा.

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मुख्तार ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के महेन्द्र राजभर को 7464 मतों से हराया.

घोसी सीट पर अब्बास को 81 हजार 295 जबकि भाजपा प्रत्याशी फागू चौहान को 88 हजार 298 मत मिले. मुहम्मदाबाद (यूसुफपुर) में सिबगतुल्ला को भाजपा प्रत्याशी अलका राय के हाथों हार का सामना करना पड़ा. अलका को एक लाख 22 हजार 156 जबकि सिबगतुल्ला को 89 हजार 429 मत मिले.

सबकी निगाहें थी इस सीट पर 

गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी सदर विधानसभा सीट पर 1996 से लगातार विधायक हैं. उन पर एक दर्जन से अधिक आपराधिक मुकदमे हैं. मुख्तार अंसारी के चुनाव को लेकर प्रदेश की नजर इसलिए भी टिकी थी कि समाजवादी पार्टी में इनकी पार्टी कौमी एकता दल के विलय को लेकर मुलायम परिवार में ही दो फाड़ हो गया था.

आखिरकार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने न सिर्फ मुख्तार अंसारी को पार्टी में लेने से मना किया बल्कि सभी बाहुबलियों को सिरे से नकारा भी. बाद में अंसारी बंधुओं ने बसपा का दामन था.

बसपा ने न सिर्फ सदर विधानसभा सीट से मनोज राय का टिकट काटकर मुख्तार अंसारी को दिया बल्कि घोसी से इनके बेटे अब्बास अंसारी को वसीम खां उर्फ चुन्नू खां का टिकट काटकर दिया गया.

मुख्तार के भाई सिगबगतुल्लाह को भी गाजीपुर जनपद के मुहम्मदाबाद विधानसभा सीट से बसपा ने टिकट देकर पूर्वांचल में मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश की.

 

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