Budhwar Ke Upay: आप भी गजानन को प्रसन्न करना चाहते हैं तो पूजा के बाद आरती जरूर गाएं. ऐसा करने से आपके जीवन में सुख-समृद्धि आएगी.
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Budhwar ke Upay: आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि है. आज दिन बुधवार है. हिंदू धर्म में बुधवार का दिन भगवान शंकर और पार्वती पुत्र श्री गणेश (Lord Ganesh) को समर्पित होता है. इस दिन उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. उन्हें लंबोदर, दामोदर, विघ्नहर्ता नाम से भी पुकारा जाता है. मान्यता है कि गणपति अगर भक्त से प्रसन्न हो जाएं, तो जीवन के सारे कष्ट हर लेते हैं. गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए लोग कई तरह के उपाय, टोटके और पूजा-पाठ करते हैं. अगर आप भी गणपति को प्रसन्न करना चाहते हैं तो पूजा के दौरान आरती जरूर गाएं. ऐसा करने से लंबोदर प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
गणेश आरती: 1
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
गणेश आरती: 2
शेंदुर लाल चढ़ायो अच्छा गजमुखको ।
दोंदिल लाल बिराजे सुत गौरिहरको ।
हाथ लिए गुडलद्दु सांई सुरवरको ।
महिमा कहे न जाय लागत हूं पादको ॥
जय देव जय देव..
जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥
अष्टौ सिद्धि दासी संकटको बैरि ।
विघ्नविनाशन मंगल मूरत अधिकारी ।
कोटीसूरजप्रकाश ऐबी छबि तेरी ।
गंडस्थलमदमस्तक झूले शशिबिहारि ॥
जय देव जय देव..
जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥
भावभगत से कोई शरणागत आवे ।
संतत संपत सबही भरपूर पावे ।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे ।
गोसावीनंदन निशिदिन गुन गावे ॥
जय देव जय देव,
जय जय श्री गणराज
विद्या सुखदाता
धन्य तुम्हारा दर्शन
मेरा मन रमता,
जय देव जय देव ॥
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