चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि यदि बीजेपी ने किसी दलित को भी पार्टी से टिकट दिया तो भी उसे वोट मत देना.
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सहारनपुर: सपा-बसपा गठबंधन के बाद भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद ने रविवार को एक कार्यक्रम में मौजूद लोगों से कहा कि यदि भाजपा ने किसी दलित को भी पार्टी से टिकट दिया तो भी उसे वोट मत देना. चंद्रशेखर ने कहा कि बीजेपी को हराने के लिए भीम आर्मी सपा-बसपा गठबंधन का समर्थन करेगी. चंद्रशेखर आजाद सहारनपुर में संत रविदास छात्रावास में आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि वह चाहते थे कि उतर प्रदेश में भाजपा को हराने के लिये एक सामाजिक गठबंधन बने. सपा-बसपा के गठबंधन से उनका यह सपना पूरा हुआ है. यह गठबंधन बीजेपी को उतर प्रदेश में रोकने का काम करेगा.
एक सप्ताह में तय हो जाएंगी सपा-बसपा की सीटें
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों के लिये सपा-बसपा गठबंधन की शनिवार को औपचारिक घोषणा के बाद दोनों दलों के अध्यक्ष अखिलेश यादव और मायावती अगले एक सप्ताह में यह तय कर लेंगे कि कौन किस सीट पर चुनाव लड़ेगा. साथ ही दोनों दल साझा चुनाव अभियान की भी रुपरेखा जल्द तय कर लेंगे. गठबंधन की रुपरेखा से जुड़े सपा के सूत्रों ने बताया कि दोनों दलों के बीच बंटवारे वाली सीटों पर आपसी सहमति लगभग बन गई है. इसकी सार्वजनिक घोषणा बसपा प्रमुख मायावती के 15 जनवरी को जन्मदिन के मौके पर या इसके एक दो दिन के भीतर कर दी जायेगी. इससे पार्टी कार्यकर्ता समय रहते चुनावी तैयारियों में जुट सकेंगे.
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प्रचार अभियान का आगाज अखिलेश और मायावती की उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में साझा रैलियों से होगा. बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि इसकी शुरुआत लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी और प्रयाग सहित अन्य प्रमुख शहरों से होगी. उन्होंने बताया कि दोनों दलों का शीर्ष नेतृत्व चुनाव प्रचार अभियान को जल्द अंतिम रूप देकर रैलियों की जगह और समय का निर्धारण करेंगे.
रालोद की भूमिका
गठबंधन में रालोद की सीटों को लेकर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं होने के बारे में सपा के एक नेता ने बताया कि कांग्रेस के लिये छोड़ी गई दो सीटों के अलावा रालोद के लिये फिलहाल दो सीट छोड़ी गई हैं लेकिन यह अंतिम आंकड़ा नहीं है. रालोद नेताओं के साथ बातचीत और जमीनी वास्तविकता को ध्यान में रखते हुये सपा-बसपा अपने कोटे की अधिकतम एक या दो सीट छोड़ने पर विचार कर सकते हैं.
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उल्लेखनीय है कि लखनऊ में शनिवार को अखिलेश और मायावती ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन कर सपा-बसपा गठबंधन की औपचारिक घोषणा की. इस दौरान मायावती ने गठबंधन से कांग्रेस को अलग रखने की जानकारी देते हुए इस बात का स्पष्ट संकेत दिया कि यह फैसला सोची समझी रणनीति के तहत भाजपा के पक्ष में कांग्रेस के मतों का ध्रुवीकरण रोकने के लिये किया गया है.
(इनपुट: एजेंसी भाषा से)