स्पेशल स्टोरी: चित्रकूट के किसान बदल रहे हैं खेती की तस्वीर, आय दोगुनी करने के लिए अपना रहे हैं ये तरीका
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स्पेशल स्टोरी: चित्रकूट के किसान बदल रहे हैं खेती की तस्वीर, आय दोगुनी करने के लिए अपना रहे हैं ये तरीका

चित्रकूट के किसान फूलों की खेत करके दोगुनी कर रहे हैं अपनी आय

स्पेशल स्टोरी: चित्रकूट के किसान बदल रहे हैं खेती की तस्वीर, आय दोगुनी करने के लिए अपना रहे हैं ये तरीका

ओंकार सिंह/चित्रकूट:  बदहाली और बेरोजगारी  के लिए हमेशा सुर्खियों में रहने वाले बुंदेलखंड के सबसे पिछड़े जिले चित्रकूट की अब तस्वीर बदल रही है.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' बनाने के संकल्प के साथ चित्रकूट के किसानों खुद को 'आत्मनिर्भर' बनाने में जुट गए हैं. वे अनाज की खेती के इतर फूलों की खेती से आय दोगुनी कर "आत्मनिर्भर" बन रहे हैं.

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गुलाब-गेंदा की हो रही है खेती
बुंदेलखंड के आकांक्षी किसान परंपरागत गेंहू,चना और धान की खेती को छोड़कर उद्यानीकरण को अपना रहे हैं. वे गुलाब-गेंदा आदि फूलों की खेती शुरू कर अपनी आय को दोगुना कर रहे हैं.  अब ऐसे लोगों से प्रेरणा लेकर बुंदेलखंड के अन्य जिलों में भी किसानों ने फूलों और सब्जियों की खेती शुरू कर आत्म निर्भरता की ओर कदम बढ़ा दिए हैं. जिले के तरौंहा, डिलौरा, सीतापुर, गढ़वा, पूरबपताई  में इस तरह की किसानी देखने को मिल रही है.

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सतना और प्रयागराज से फूल खरीदने आ रहे हैं लोग
जिले के कर्वी ब्लॉक के डिलौरा गांव निवासी जगन्नाथ कुशवाहा व विनोद कुशवाहा ने परंपरागत गेहूं-धान छोड़कर गेंदा और गुलाब के फूलों की खेती शुरू की. पहले जहां परंपरागत फसल उगाने के लिए तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. वहीं, अब चार से पांच सौ रुपये प्रतिदिन की आमदनी करते हैं. दोनों किसान बताते हैं कि उनके फूलों की खासी डिमांड रहती है. शादी-विवाह के सीजन में पड़ोसी जिले सतना, प्रयागराज, बांदा आदि तक के लोग उनके फूल खरीदने आते हैं.

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प्रतिदिन नगद में होती है कमाई
जिला उद्यान अधिकारी डॉ. रमेश पाठक ने बताया कि फूलों की फसल महज दो-तीन माह में तैयार हो जाती है. इसके बाद पांच माह तक कमाई का जरिया बनती है. इस दौरान दो से तीन सिंचाई की जरूरत पड़ती है. किसान को प्रतिदिन नकद आमदनी होती है. एक एकड़ में साल भर में डेढ़ से दो लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. जबकि सामान्य परम्परागत फसल में महज 50 से 70 हजार रुपये तक की आय हो पाती है, उसमें खर्चे अधिक होते हैं.  वर्तमान में करीब 70 एकड़ जमीन पर फूलों की खेती की जा रही है.  

मंदिर में भी होती है फूलों की खपत
फूल बिक्री का प्रमुख बाजार कर्वी, सीतापुर, चित्रकूट में लगता है. वहां, कामतानाथ मंदिर, मंदाकिनी के रामघाट से लेकर बाकी प्राचीन मंदिरों, धार्मिक स्थलों पर प्रतिदिन हजारों क्विंटल फूल की खपत से बिक्री में आसानी रहती है. वहीं, जिला उद्यान अधिकारी रमेश पाठक ने कहा कि उद्यान विभाग द्वारा लगातार परंपरा से हटकर खेती के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है. जिसका खासा असर जिले के किसानों में दिखाई पड़ रहा है. अलग-अलग ब्लाक क्षेत्र में किसान फूलों की खेती से आय बढ़ाने में कामयाब हुए हैं. धीरे-धीरे दूसरे किसानों को भी प्रेरित किया जाएगा.

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