Ladakh Shutdown: लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाने की मांग को लेकर लोग यहां कड़कड़ाती ठंड में हजारों की संख्या में सड़कों पर हैं. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि पूर्ण राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची में शामिल करने, नौकरी में आरक्षण और संसदीय सीटें. विस्तार से जानने के लिए आगे पढ़ें....
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Ladakh Shutdown: रविवार 4 फरवरी 2024 को लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए लाखों लोगों ने लद्दाख की सड़कों पर प्रदर्शन किया. लेह में कड़कड़ाती ठंड के बीच हजारों लोगों ने सड़कों पर मार्च निकाला. यह प्रदर्शन शनिवार 3 फरवरी के जारी है. प्रदर्शन का नेतृत्व लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) कर रही हैं. सामाजिक कार्यकर्ता और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सोनम वांगचुक ने भी इस विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया है. वांगचुक पर ही आमिर खान की फिल्म थ्री इडियट्स बनी थी.
मांगें
खबरों के मुताबिक भीषण सर्दी में लोग घरों से बाहर निकले और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने अपनी मांगों के सपोर्ट में नारे भी लगाए. उन्होंने संविधान की छठी अनूसूची लागू करने के लिए और लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग संसद सीटों की मांग की. लोगों ने नौकरियों में आरक्षण की भी मांग की.
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सरकार ने गठित की समिति
विरोध प्रदर्शन होने से पहले सरकार ने लेह अपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की थी. सरकार ने जल्द ही दोनों से दूसरे दौर की बात करने के लिए कहा है. केंद्र सरकार ने लद्दाख का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एक समिति का गठन किया है. इस समिति के अध्यक्ष राज्य मंत्री नित्यानंद राय हैं.
नौकरशाही
खबरों के मुताबिक प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वह केंद्र शासित प्रदेश में नहीं रह सकते, जहां पर सिर्फ नौकरशाही हो. उनके मुताबित पूर्ण राज्य ही उनकी मांगों को पूरा कर सकता है. यहां वह राज्य पर शासन करने के लिए अपने प्रतिनिधियों को चुन सकते हैं. पिछले साल दिसंबर में केंद्र सरकार ने लद्दाख में एक बैठक की जिसमें सरकार ने लेह और करगिल दोनों से अपनी मांगे रखने के लिए कहा.
हटाया गया राज्य का दर्जा
ख्याल रहे कि साल 2019 में जब 370 हटाया गया था, तब लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया. जम्मू व कश्मीर राज्य को अलग कर केंद्र शासित प्रदेशों में बदला गया था. लेकिन जल्द ही लेह व करगिल के लोग विरोध करने लगे. उनका कहना है कि वह राजनीति रूप से बेसहारा हैं. इसलिए यहां के लोग एक साथ खड़े हो गए हैं. पिछले दो सालों में यहां के लोगों ने कई विरोध प्रदर्शन किए हैं.