Uttarakhand News: धामी सरकार के द्वारा बद्री केदार मंदिर समिति के तहत होने वाली नियुक्तियों को लेकर सेवा नियमावली पर मुहर लगा दी गई है. जिसके बाद मंदिर समिति के अंदर होने वाली नियुक्तियों में पारदर्शिता देखने को मिलेगी.
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देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के द्वारा प्रदेश में जहां कई कानून ऐसे बना दिए गए हैं जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. अब अंग्रेजो के जमाने से आ रही एक प्रथा को भी सीएम धामी ने बदल डाला है. जिसके बाद कहा जा रहा है कि एक और जगह नियुक्तियों में भाई भतीजावाद व भ्रष्टाचार को सीएम ने खत्म कर दिया है.
मंदिर समिति के अंदर होने वाली नियुक्ति
उत्तराखंड की धामी सरकार तमाम आयोग में फैले भ्रष्टाचार को समाप्त करने को लेकर जहां कई कड़े निर्णय ले चुकी है, वहीं प्रदेश में नकल विरोधी कानून को भी लेकर आई है. अब प्रदेश में कई ऐसी भी जगहें हैं जहां पर नौकरियों में भाई भतीजावाद हावी रहता है. नियमों को ताक पर रखकर प्रमोशन दिए जाते हैं. दरअसल, बद्री केदार मंदिर समिति के तहत होने वाली नियुक्तियों को लेकर भर्तियों में भाई भतीजावाद देखने को मिलता है लेकिन अब धामी सरकार के द्वारा बद्री केदार मंदिर समिति के तहत होने वाली नियुक्तियों को लेकर सेवा नियमावली पर मोहर लगा दी गई है. जिसके बाद मंदिर समिति के अंदर होने वाली नियुक्तियों में पारदर्शिता देखने को मिलेगी.
भर्ती में अब पारदर्शिता
1939 में अंग्रेजों के शासनकाल में बद्री केदार मंदिर समिति का गठन हुआ था और तब से लेकर अब तक किसी भी मुख्यमंत्री ने मंदिर समिति में होने वाली भर्ती में पारदर्शिता के बारे में नहीं सोचा लेकिन अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा बद्री केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय के द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया. जिसके बाद मुख्यमंत्री धामी ने इस पर प्रस्ताव मांगा और कैबिनेट ने अब बद्री केदार मंदिर समिति के तहत होने वाली भर्ती और प्रमोशन के लिए नियमावली बना दी है. जिस पर समिति के अध्यक्ष का कहना है कि इससे भर्ती में अब पारदर्शिता आएगी.
भाई भतीजावाद
बद्री केदार मंदिर समिति के तहत अगर यदि कर्मचारियों के आंकड़े की बात करें तो वर्तमान में 700 के करीब कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें से 350 के करीब पर्मानेंट कर्मचारी हैं और इतने ही कर्मचारी संविदा स्तर के हैं. नई नियमावली बनने से अब बद्री केदार मंदिर समिति के तहत जो भी भर्तियां होंगी उनमें शैक्षिक योग्यता वरीयता होगी. साथ ही रिक्त पदों के सापेक्ष ही कर्मचारियों की भर्ती होगी. अभी तक जिस तरह से भर्ती प्रक्रिया को लेकर सेवा नियमावली नहीं थी उस भर्ती प्रक्रिया में भाई भतीजावाद व प्रमोशन में भी भाई भतीजावाद देखा जाता था. धर्मस्व सचिव हरीश चंद सेमवाल का कहना है कि भर्ती नियमावली बनने से पूरी तरह से अब बद्री केदार मंदिर समिति के तहत होने वाली नियुक्तियां पारदर्शी तरीके से होंगी.
भर्ती परीक्षाओं में धांधली
कुल मिलाकर देखें तो भर्ती परीक्षाओं में धांधली को लेकर जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का सख्त रुख रहा है, तो वहीं बद्री केदार मंदिर समिति के तहत होने वाली भर्तियों में भी भाई भतीजावाद के खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सख्त नजर आए हैं. यही वजह है कि बद्री केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष की मांग पर धामी सरकार के द्वारा सेवा नियमावली बनाई गई है ऐसे में देखना होगा कि आखिरकार अब आगे से जो भी भर्ती मंदिर समिति के तहत होती हैं, क्या उनमें पूरी तरीके से पारदर्शिता ही नजर आएगी.