Uttarkashi: पितृ पक्ष में लोग अपने पूर्वजों की तृप्ति के लिये श्राद्ध करते हैं. गंगोत्री धाम में तर्पण करने का अपना विशेष महत्व है. गंगोत्री धाम में पहुंचकर लोग गंगा भागीरथी नदी के किनारे भागीरथ शिला के पासअपने पितरों के मोक्ष के लिए पिंडदान ,तर्पण पूजा-अर्चना कर करते है.
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Uttarkashi: उत्तरकाशी के विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम में पितृपक्ष श्रद्धा में गंगा भागीरथी नदी के किनारे भगीरथ सिला में जो भी ब्यक्ति अपने पितरों के नाम से पिंडदान या तर्पण आदि पूजा करता है मान्यता है कि उसके पितरों का माँ गंगा उधार करती है .और पितृ मोक्ष को प्राप्त होते हैं आजकल पितृपक्ष श्राद्ध चल रहा है वही गंगोत्री धाम में बड़ी संख्या में विभिन्न राज्यों से तीर्थ यात्री और स्थानीय लोग गंगोत्री धाम में पहुंचकर गंगा भागीरथी नदी के किनारे भागीरथ शिला के पास अपने पितरों के मोक्ष के लिए पिंडदान ,तर्पण पूजा-अर्चना कर पुण्य अर्पित कर रहे है.
गंगोत्री धाम पिंडदान का विशेष महत्त्व
विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम में किया गया अपने पितरों के लिए कोई भी कार्य उन्हें मोक्ष दिलाता है, और पितृ जिस भी योनि में होते हैं, वहां तृप्त होते हैं. हिंदू धर्म के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान 15 दिनों तक पितृ धरती लोक में रहते हैं और अमावस्या के दिन वह वापस पितृलोक चले जाते हैं. पितृपक्ष के दौरान यदि विधि विधान से पिंडदान की क्रिया की जाती है तो इससे पितृ तृप्त होकर अपने लोक में वापस जाते हैं और अपने पीछे परिवार की सुख और समृद्धि छोड़ जाते हैं.
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