Uttarakhand Bhu Kanoon: क्या है उत्तराखंड भू कानून, क्यों आंदोलन कर रहे उत्तराखंड के लोग
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Uttarakhand Bhu Kanoon: क्या है उत्तराखंड भू कानून, क्यों आंदोलन कर रहे उत्तराखंड के लोग

Uttarakhand Land Law: सशक्त भू कानून को लेकर के उत्तराखंड में एक बार चर्चा शुरू हो गई है. आसान भाषा आगे जानें आम जनता की मुश्किलों का समाधान करने वाले इस भू कानून के बारे में....

 

Uttarakhand Land Law

Dehradun News: उत्तराखंड में भू कानून का मुद्दा फिर गरमाने लगा है. जनता, नागरिक संगठन और विपक्षी दलों के सवालों के बीच सरकार भी एक्शन मोड में है. पहाड़ों की पहचान बचाने, उत्तराखंड की संस्कृति, विरासत और वहां के मूल निवासियों की रोजी-रोटी के संरक्षण की आवाज तेज हो रही है, क्योंकि बाहरी लोगों द्वारा उत्तराखंड में कृषि और बागवानी की जमीनों को मनमाने तरीके से खरीदने और वहां बड़े पैमाने पर हो रहे होटल-गेस्ट हाउस जैसे कार्यों को लेकर नाराजगी थी. 

राज्य निर्माण के बाद उत्तराखंड के लोग एक बार फिर से आंदोलित हैं. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 24 दिसंबर के दिन भू- कानून को लेकर विशाल आंदोलन किया गया. इस आंदोलन का मुद्दा था, सशक्त भू- कानून और मूल निवास 1950 प्रमाण पत्र. उत्तराखंड के लोगों के द्वारा #उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून को सोशल मीडिया पर काफी ट्रेंड भी किया गया. दरअसल, हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड के लोग भी राज्य में भू कानून चाहते हैं. अब सोशल मीडिया की यह मुहिम जमीनी स्तर पर भी दिखने लगी है. आसान भाषा में जानें क्या है सशक्त भू- कानून?...

क्या है उत्तराखंड भू कानून?
साल 2000 में जब उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग कर अलग संस्कृति, बोली-भाषा होने के दम पर एक संपूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया था. उस समय कई आंदोलनकारियों समेत प्रदेश के बुद्धिजीवियों को डर था कि प्रदेश की जमीन और संस्कृति भू माफियाओं के हाथ में न चली जाए. इसलिए सरकार से एक भू-कानून की मांग की गई. 

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युवा कर रहे सरकार से अपील
युवाओं का कहना है कि उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी भी युवा हैं और वह राज्य के युवाओं से ज्यादा कनेक्ट कर सकते हैं. उत्तराखंड का यूथ अपनी देवभूमि की संस्कृति को बचाने के लिए कठोर भू-कानून की अपील कर रहा है. वहीं, कुछ युवा सरकार को धमकी देने से भी नहीं कतरा रहे हैं. उनका कहना है कि अगर सरकार उनकी बात नहीं सुनती है तो इसका खामियाजा उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है.

विपक्ष भी कर रहा भू-कानून की मांग
युवाओं के अलावा अब विपक्ष भी सरकार पर हमला बोलने लगा है. कांग्रेस का कहना है कि भू-कानून कोई विवाद का विषय नहीं है. कांग्रेस की सरकार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने फूलप्रूफ भू-कानून बनाया था. लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने कॉर्पोरेट के नाम पर, इन्वेस्टमेंट के नाम पर, निवेश के नाम पर, भू कानून तहस-नहस कर दिया. राज्य में जो मांग चल रही है पहले लोगों को भू-कानून के बारे में पढ़ना चाहिए. एक पूरे राज्य भर के लिए भू-कानून होना चाहिए जिससे भूमाफिया दूर रहें.

आम जनता क्या कहती है
आम लोगों का कहना है कि भू कानून को लेकर के प्रदेश में एक बार चर्चा होनी चाहिए. आम जनता की मुश्किलों का समाधान करते हुए एक ठोस भू-कानून बनना चाहिए. प्रदेश में ऐसा भी ना हो कि सारी जमीन बिक जाए और यहां के लोग बेघर हो जाएं. एक उचित मजबूत कानून बनाने की आवश्यकता है. सभी से चर्चा के बाद यह कानून बनाया जाना चाहिए.

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