मुफ्त कोचिंग देकर छात्र छात्राओं का संवार रहे हैं भविष्य
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मुफ्त कोचिंग देकर छात्र छात्राओं का संवार रहे हैं भविष्य

पिछले 14 सालों से बच्चों को निशुल्क कोचिंग दे रहे डॉ. सुशील सिंह राणा ऐसे ही शिक्षक हैं जो ना सिर्फ नौनिहालों के भविष्य को तराश रहे हैं बल्कि गरीब और मेधावी छात्र छात्राओं को राजीव गांधी नवोदय विद्यालय में प्रवेश परीक्षा की निशुल्क कोचिंग देते हैं.

मुफ्त कोचिंग देकर छात्र छात्राओं का संवार रहे हैं भविष्य

संदीप गुसाईं, देहरादून : यूं तो उत्तराखंड में करीब 70 हजार से अधिक शिक्षक हैं, जो प्राइमरी से लेकर माध्यमिक स्कूलों में नौनिहालों को पढ़ा रहे. हमेशा आपको ये सुनने को मिलता होगा कि स्कूलों से मास्टर गायब रहते या फिर शिक्षक हैं ही नहीं लेकिन ऐसा नहीं है. राजीव गांधी नवोदय विद्यालय में पिछले 14 सालों से बच्चों को निशुल्क कोचिंग दे रहे डॉ. सुशील सिंह राणा ऐसे ही शिक्षक हैं जो ना सिर्फ नौनिहालों के भविष्य को तराश रहे हैं बल्कि गरीब और मेधावी छात्र छात्राओं को राजीव गांधी नवोदय विद्यालय में प्रवेश परीक्षा की निशुल्क कोचिंग देते हैं.

स्कूलिंग के लिए प्रसिद् है देहरादून और मसूरी
देहरादून और मसूरी में कई प्रतिष्ठित स्कूल हैं जहां देश ही नही बल्कि विदेशों से भी बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं. डा. सुशील राणा पिछले 14 सालों से निशुल्क कोचिंग दे रहे हैं. राजीव गांधी नवोदय विद्यालय में 60 सीटें हैं, जिसमें 30 सीटें लड़कियों और 30 लड़कों के लिए हैं. हर साल फरवरी महीने में इसके लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है और इसमें सैकड़ों छात्र छात्राएं प्रतिभाग करते हैं. डा राणा 2004 से नवोदय विद्यालय के लिए गरीब और मेधावी छात्र छात्राओं को सर्दियों की छुट्टियों में निशुल्क कोचिंग देते हैं. वह कहते हैं नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा  में सरकारी स्कूलों के बच्चों को काफी दिक्कत आती थी. इसमें गणित,भाषा,अंग्रेजी,जीके और रीजनिंग की परीक्षा होती है और कक्षा 6 में प्रवेश होता है. इसके लिए 2500 हजार से अधिक छात्र छात्राएं भाग लेते हैं.

पिछले 14 सालों में 100 से अधिक छात्र छात्राएं हो चुके हैं सफल
डा. सुशील सिंह राणा ना सिर्फ राजीव गांधी नवोदय विद्यालय के लिए छात्र छात्राओं को निशुल्क कोचिंग देते हैं बल्कि स्पोर्ट्स कालेज,आर्मी स्कूल के लिए कोचिंग देते हैं. रमनदेव पंवार कहते है कि उनकी दोनो बेटियां आज राजीव गांधी नवोदय विद्यालय में पढ रही है और इसके पीछे डा. राणा जैसे शिक्षकों का योगदान है. रमनदेव एक दुकान में काम करते हैं वे कहते हैं इतनी मंहगाई में उनके लिए अपनी दोनों बेटियों को निजी स्कूल में पढाना संभव नहीं था लेकिन डा राणा ने प्रवेश परीक्षा के दौरान पढाया तो वे सफल रहीं. डा राणा सर्दियों में 25 दिसम्बर के बाद जब छुट्टियां पड़ जाती हैं तो वे नवोदय विद्यालय में छात्र छात्राओं को पढाने लगते हैं. उनके इस काम में अब कई अन्य शिक्षक भी साथ देने लगे हैं.

सफलता का गुरु मंत्र
राजीव गाँधी नवोदय विद्यालय में दाखिले के लिए सीमित सीटें होती है और प्रवेश परीक्षा भी काफी कठिन होती है. प्रश्न पत्र में गठित,अंग्रेजी,भाषा जीके और रीजनिंग से जुड़े सवाल पूछे जाते है।इस समय सर्दियों की छुट्टिया है तो आजकल डा राणा करीब 45 बच्चों को निशुल्क कोचिंग दे रहे है. इनमें से कई बच्चे प्राथमिक स्कूलों से जो नवोदय विद्यालय में पढने का सपना देख रहे है।कोचिंग ले रही सुरभि ने कहा कि वे प्रवेश परीक्षा के लिए तैयार है और उन्हें गणित के साथ ही जीके और रीजनिंग का भी अच्छा ज्ञान हो गया है.

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