गोविंद पुरम इलाके में रहने वाले 70 साल के अभय सिंह 5 मई को कोरोना संक्रमित हो गए थे. इसके बाद वह दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती थे. करीब 20 दिन बाद तक उन्होंने कोरोना का डटकर मुकाबला किया और बुलंद हौसलों की वजह से अंत में इस वायरस से जीत हासिल की.
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गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में एक 70 वर्षीय बुजुर्ग कोरोना से तो जंग जीत गए. लेकिन, अपने घर में हार गए. अभय सिंह 5 मई को कोरोना की चपेट में आ गए थे. इसके बाद एक अस्पताल में भर्ती हुए और 20 दिन बाद जब वह ठीक होने के बाद अस्पताल से घर लौटे तो परिवार वालों की बेरुखी ने उन्हें तोड़ दिया. जिस परिवार के लिए उन्होंने तमाम समझौते किए और परेशानियां उठाईं, उसी परिवार ने उन्हें घर में रखने से इनकार कर दिया. अब अभय सिंह मजबूरी में अलग से किराये का मकान लेकर रह रहे हैं.
गोविंद पुरम इलाके में रहने वाले 70 साल के अभय सिंह 5 मई को कोरोना संक्रमित हो गए थे. इसके बाद वह दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती थे. करीब 20 दिन बाद तक उन्होंने कोरोना का डटकर मुकाबला किया और बुलंद हौसलों की वजह से अंत में इस वायरस से जीत हासिल की.
पत्नी और बेटों ने साथ में रहने से किया इंकार
अभय सिंह ने बताया कि जब वह ठीक होकर घर लौटे तो उनकी पत्नी और दो बेटों ने साथ रहने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि आपके साथ रहकर हम भी कोरोना संक्रमित हो जाएंगे. इसलिए वे उन्हें अपने साथ नहीं रख सकते. उनका कहना है कि वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं, उनकी दूसरी रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद ही अस्पताल ने छुट्टी दी थी.
संकट में काम आया दोस्त
उन्होंने बताया कि अस्पताल में जब वह भर्ती थे तो इस दौरान घर का कोई सदस्य एक बार भी उन्हें देखने के लिए भी नहीं आया.करीब 20 दिन भर्ती रहने के दौरान उनका एक दोस्त देखभाल की थी. दवा से लेकर खाने तक का सभी इंतजाम दोस्त ने ही किया. अस्पताल का बिल भरने के दौरान जब पैसे कम पड़े तो मोनू ने ही अस्पताल का बिल भरा.
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