उत्तराखंड (Uttarakhand) में भयानक आपदा टूट पड़ी. चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने की वजह से पानी भरभराकर उफान पर आ गया. पानी के इस बहाव की वजह से भारी तबाही की आशंका जताई जा रही है. आज के इस दृश्य को देखकर साल 2013 का वो मंजर याद आ जाता है जिसने भयानक तबाही मचाई थी.
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नई दिल्ली: रविवार को उत्तराखंड (Uttarakhand) में भयानक आपदा टूट पड़ी. चमोली जिले (Chamoli District) में ग्लेशियर टूट गया. ग्लेशियर (Glacier) टूटने की वजह से पानी भरभराकर उफान पर आ गया. इससे बड़ी मात्रा में पानी बहकर नीचे आ रहा है. पानी के इस बहाव की वजह से भारी तबाही की आशंका जताई जा रही है. ये ग्लेशियर सुबह 9 बजे के आसपास टूटा है. इलाके में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है. इसमें कई मजदूरों के बहने की आशंका जताई जा रही है. यहां 24 मेगावाट का प्रोजेक्ट निर्माणाधीन था. आज के इस दृश्य को देखकर साल 2013 का वो मंजर याद आ जाता है जिसने भयानक तबाही मचाई थी.
चमोली में ऋषिगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का बांध टूटा, बाढ़ जैसे हालात, हाई अलर्ट पर प्रशासन
प्रशासन ने जारी किया हाई अलर्ट, यूपी भी सतर्क
रैनी गांव के पास ऋषि गंगा तपोवन हाइड्रो प्रोजेक्ट का बांध टूटा है. हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को भारी नुकसान की सूचना मिली है. जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की टीम मौके पर रवाना हो गई. एसडीआरएफ भी घटनास्थल के लिए रवाना हो गई. प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है. सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट करके ज़िला प्रशासन, पुलिस विभाग और आपदा प्रबंधन को इस आपदा से निपटने की आदेश दे दिए हैं. यूपी में भी गंगा किनारे अलर्ट जारी किया गया है. इस घटना में जान-माल का बड़ी संख्या में नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है. ये घटना सुबह आठ से नौ बजे के बीच की है. इस घटना को लेकर प्रशासन अलर्ट हो चुका है.
चमोली ज़िले से एक आपदा का समाचार मिला है। ज़िला प्रशासन, पुलिस विभाग और आपदा प्रबंधन को इस आपदा से निपटने की आदेश दे दिए हैं। किसी भी प्रकार की अफ़वाहों पर ध्यान ना दें । सरकार सभी ज़रूरी कदम उठा रही है।
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) February 7, 2021
साल 2013 ने भी देखा था भयानक मंजर
उत्तराखंड के केदारघाटी में 2013 में आया जलप्रलय ऐसी घटना है, जो शायद ही कभी भुलाई जा सके. 16 और 17 जून की रात में जलप्रलय के संकेत मिले थे और सुबह होते-होते पूरी केदारघाटी तबाह हो गई थी. आपदा में मरने वालों की संख्या सरकारी दस्तावेजों में करीब 4000 दर्ज है, लेकिन वास्तविक संख्या 10 हजार से ज्यादा मानी जाती है. साल 2013 की आपदा बेहद भयानक थी.
चार हजार से ज्यादा लोगों की हुई थी मौत
आपदा में 4,400 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए. उस समय आपदा में 4,200 से ज्यादा गांवों का संपर्क टूट गया था. उत्तराखंड की केदारघाटी समेत अनेक स्थानों पर प्रकृति ने अपना कहर बरपाया था. बारिश का पानी प्रलय के रूप में सामने आया. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस हिमालयी सुनामी में केदारनाथ समेत पूरे प्रदेश में करीब साढ़े पांच हजार लोगों को मौत के मुंह में समाना पड़ा था. बड़ी संख्या में लोगों को बेघर होना पड़ा. 11,759 भवनों को आंशिक नुकसान पहुंचा था. लगभग 11,091 मवेशी (जानवर) मारे गए. करीब 4200 गांवों का संपर्क पूरी तरह से टूट गया था. 172 छोटे-बड़े पुल बह गए और कई कई सौ किलोमीटर सड़क लापता हो गई. 1308 हेक्टेयर कृषि भूमि को आपदा लील गई. दो हजार के आसपास मकानों का नामो निशान मिट गया था. आपदा में नौ नेशनल हाई-वे, 35 स्टेट हाई-वे और 2385 सड़कें 86 मोटर पुल, 172 बड़े और छोटे पुल बह गए या क्षतिग्रस्त हो गए.
बचा केवल केदारनाथ मंदिर
पूरा केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) देखते ही देखते तहस-नहस हो गया. अगर इस तबाही में बचा था तो बस बचा तो केवल बाबा केदारनाथ का मंदिर. पानी के साथ आए एक पत्थर ने धारा को दो दिशाओं में मोड़ दिया जो मंदिर के दोनों तरफ से होकर गुजर गया. जिसके बाद इसका नाम भीम शिला रख दिया गया. आज भी वहां पर तबाही के निशान देखे जा सकते हैं.
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