'2019 से पहले अध्यादेश लाकर राम मंदिर का निर्माण शुरू कराए सरकार': शिवसेना
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'2019 से पहले अध्यादेश लाकर राम मंदिर का निर्माण शुरू कराए सरकार': शिवसेना

'राम मंदिर वालों की सत्ता केंद्र तथा उत्तर प्रदेश में आने के बावजूद राम मंदिर का निर्माण नहीं हो पाया और प्रभु रामचंद्र अपनी ही अयोध्या में वनवासी बन गए.'

फोटो साभारः twitter/@ShivSena

मुंबईः अयोध्या में भगवान राम के मंदिर को लेकर मोर्चा खोलते हुए शिवसेना ने भाजपा पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में कहा है कि 'राम मंदिर का आंदोलन फिर से शुरू हो गया है या नहीं, हम नहीं बता सकते, लेकिन राम मंदिर रूपी भीगी हुई गुदड़ी को झटकने का कार्य निश्चित ही शुरू हो गया है. राम मंदिर का तकिया बनाकर जो सोए थे, उनकी आंखें खोलने का काम शिवसेना ने किया है. हम श्रीराम की पवित्र भूमि का वंदन करने के लिए निकल चुके हैं. रामायण हिंदुस्थानी संस्कृति का खजाना है. रामायण हिंदुस्थानी जीवन में व्याप्त है. ‘जिंदगी में ‘राम’ बचे नहीं ऐसा जब हम कहते हैं तब हिंदू जनमानस में ‘राम’ कितने महत्वपूर्ण हैं, यह समझना जरूरी है.'

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पहले मंदिर, फिर सरकार- शिवसेना
संपादकीय में आगे लिखा है कि 'रामायण का हर पात्र महत्वपूर्ण है. नायक जितना ही खलनायक भी महत्वपूर्ण है. निद्राग्रस्त कुंभकर्ण के कारण ही प्रचंड आंदोलन के बावजूद राम मंदिर अभी तक नहीं बन पाया. कुंभकर्ण रावण का भाई था, वह पराक्रमी योद्धा था. वह 6 माह सोता था और 6 माह जागता था. उसे जगाने के लिए ढोल बजाए जाते थे, बदन पर हाथी चलाए जाते थे, डंडे पीटे जाते थे. राम मंदिर निर्माण के लिए हमें भी सोए हुए कुंभकर्ण को जगाना है. उठो, राम के नाम पर जो सत्ता प्राप्त की और भोगा, उसे 5 वर्ष बीत गए हैं. आप राज वैभव का सुख भोग रहे हो और हमारे राम अयोध्या में वनवास काट रहे हैं. चुनाव आ गए हैं इसलिए मत जागो. राम मंदिर निर्माण के लिए जागो. हर हिंदू की अब एक ही गर्जना है. ‘पहले मंदिर, फिर सरकार.’

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राम मंदिर आज नहीं तो कभी नहीं- शिवसेना
इसके साथ ही संपादकीय में कहा गया है कि 'सोए हुए कुंभकर्णों उठो, अब नहीं उठे तो हमेशा के लिए सो जाओगे. हम अयोध्या की ओर कूच कर रहे हैं, कुंभकर्ण को जगाने के लिए. शिवसैनिकों सहित देश के करोड़ों लोग श्रीराम के नाम का जयकारा लगा रहे हैं. ‘राम मंदिर आज नहीं तो कभी नहीं.’ इस तरह की घोषणाएं दे रहे हैं. सोए हुए कुंभकर्ण अब तो जागो. वे कुंभकर्ण हो गए हैं. चुनाव आते ही राम याद आते हैं. फिर अयोध्या में राम मंदिर क्यों नहीं बनाते ? यह सीधा सवाल है. हमें राम मंदिर की राजनीति नहीं करनी है. 

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मुखपत्र सामना में आगे लिखा है कि ‘राम या रोटी ? रोटी महत्वपूर्ण है, लेकिन राम के नाम पर जो सत्ता प्राप्त की वो ‘रोटी’ देने के लिए ही 1992 में कारसेवकों ने जब बाबरी गिराई तब तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने कहा था, ‘भाजपा नेताओं तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने विश्वासघात किया है, लेकिन बाबरी गिरने पर भी पिछले २५ वर्षों से सिर्फ विश्वासघात ही जारी है. हर चुनाव में राम मंदिर का वचन दिया गया, लेकिन राम मंदिर वालों की सत्ता केंद्र तथा उत्तर प्रदेश में आने के बावजूद राम मंदिर का निर्माण नहीं हो पाया और प्रभु रामचंद्र अपनी ही अयोध्या में वनवासी बन गए. यही सबसे बड़ा विश्वासघात है. राम भक्त के रूप में जो लोग सत्ता में आए वे कुंभकर्ण हो गए हैं.'

बाबरी के गिरते ही सभी ने पलायन किया- शिवसेना
'आयोध्या में कारसेवक एक बार नहीं, दो बार गए. मुलायम सिंह के शासन में कारसेवक पहली बार गए तब वे बाबरी के गुंबद पर चढ़े थे, लेकिन सेना ने गोलियां बरसाकर सैकड़ों कारसेवकों की लाशें बिछा दीं. दूसरी बार जब कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो फिर कारसेवक पहुंचे और उन्होंने अयोध्या के बाबरी का कलंक हमेशा के लिए खत्म कर डाला. बाबरी का गुंबद गिराने के लिए जो ऊपर चढ़े थे, वे शिवसैनिक थे. असंख्य शिवसैनिक तब शिव सेना प्रमुख से प्रेरणा लेकर अयोध्या पहुंचे और काम तमाम कर दिया. बाबरी के गिरते ही सभी ने पलायन किया और जिम्मेदारी झटकते हुए घोषित किया कि ‘यह काम भाजपा का नहीं है. यह काम शिवसेना ही कर सकती है. उसी वक्त हिंदू हृदय सम्राट के अनुरूप गर्जना करते हुए शिवसेनाप्रमुख ने कहा था, हां, बाबरी गिराने वाले मेरे शिवसैनिक होंगे तो मुझे उन पर गर्व है.'

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'बाबरी गिरते ही कारसेवक खुशी से नाचने लगे और शिवसेनाप्रमुख द्वारा ध्वस्त बाबरी की जिम्मेदारी स्वीकारते ही पूरा हिंदू समाज खुशी और गर्व से अभिभूत हो गया. ‘शिवसेना का अयोध्या से संबंध क्या?’ ऐसा पूछनेवालों को ये इतिहास समझना होगा. भागकर जानेवालों को हिंदू समाज नेता नहीं मानता, वह लड़नेवालों का गौरव करता है. बाबरी गिरने के बाद भी राम मंदिर का निर्माण नहीं होता, यह राम तथा हिंदुत्व का अपमान है. बाबरी एक्शन कमिटी ये देशद्रोह है तथा न्यायालय का बहाना दिखावा है. राम मंदिर का निर्माण अदालत नहीं बल्कि आज की सरकार करेगी. क्योंकि राम के नाम पर तुमने वोट मांगे थे इसलिए 2019 से पहले एक अध्यादेश निकालकर सीधे राम मंदिर निर्माण का शुभारंभ करो.'

अरे, आपके शासन में लुटेरे वाल्मीकि हो जाते हैं, लेकिन राम मंदिर नहीं बन रहा है. सत्ता के लिए असंख्य लुटेरों को आपने पवित्र किया, लेकिन जिस राम ने आपको राजनीतिक वैभव दिया, वे राम वनवास में ही हैं. महाभारत सिर्फ पांच गांव के लिए हुआ था, लेकिन अयोध्या का ‘महाभारत’ एक राम मंदिर के लिए शुरू है.

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