Greater Noida Supertech: ग्रेटर नोएडा-सुपरटेक बिल्डर का Supernova Project भी दिवालिया प्रक्रिया में फंस गया है. इसमें 4 प्रमुख टावर हैं, जिनमें से 80 मंजिला और 300 मीटर ऊंचा मीनार है. प्रोजेक्ट में चार टावर के करीब 2100 बायर्स ने बुकिंग की हुई है.
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Noida News: सेक्टर -94 स्थित नोएडा के सुपरनोवा परियोजना पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने इस लग्जरी आवासीय और वाणिज्यिक परियोजना के लिए दिवालिया प्रक्रिया को स्वीकार कर लिया है. यूपी के नोएडा के सेक्टर-94 में स्थित सुपरटेक कंपनी द्वारा बनाई जा रही 80 मंजिला इमारत को दिवालिया घोषित कर दिया गया है. यह कदम बैंक ऑफ महाराष्ट्र की तरफ से दायर याचिका के बाद उठाया गया है, जिसमें डेवलपर सुपरटेक पर 168.04 करोड़ रुपये के लोन नहीं चुकाने का आरोप लगाया गया था. जिसके एवज में उसने एनसीएलटी में याचिका दायर की थी.
बैंक ऑफ महाराष्ट्र के 700 करोड़ रुपये बकाया
नोएडा के सेक्टर-94 स्थित सुपरटेक कंपनी पर बैंक ऑफ महाराष्ट्र के 700 करोड़ रुपये बाकी था. बताया जा रहा है कि यह देश की सबसे ऊंची इमारत बन रही थी. जानकारी के मुताबिक जिसमें 70 मंजिल का निर्माण काम पूरा हो चुका था. कंपनी के दिवालिया घोषित होने से निवेशकों को तगड़ा झटका लगा है. बता दें कि इस इमारत में कई मशहूर लोगों ने अपना घर बुक कर रखा है.
दो हजार से अधिक Flat खरीददार
बताया जा रहा है कि इस परियोजना में 2 हजार से ज्यादा घर खरीदार हैं, जिनमें से केवल एक हजार को ही अब तक कब्जा मिला है.
क्या कहा सुपरटेक ने...
इस मामले में सुपरटेक ने अपने बचाव में कहा कि वह आर्थिक मंदी और वित्तीय संकट का शिकार है. कंपनी ने 2010-2015 के दौरान भूमि अधिग्रहण विवादों का हवाला दिया है.
2012 में शुरू हुआ प्रोजेक्ट
2012 में शुरू की गई सुपरनोवा परियोजना नोएडा की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है. इसे भारत की सबसे बड़ी मिश्रित उपयोग वाली परियोजना के रूप में प्रस्तुत किया गया था, जो 50 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में फैली हुई है. इसमें चार प्रमुख टावर हैं, जिनमें स्पाइरा 80 मंजिल की और 300 मीटर ऊंचा टावर भारत का सबसे ऊंचा मिश्रित उपयोग वाला प्रोजेक्ट बनने की उम्मीद कर रहा था.
2100 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया
सुपरटेक ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम से 735.58 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मांगी थी, जिसमें से 150 करोड़ रुपये बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने दिए थे. लेकिन कंपनी इस लोन का भुगतान करने में कामयाब नहीं रही. जिससे बाद बैंक को एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाना पड़ा था. इसके अलावा नोएडा प्राधिकरण का भी परियोजना पर 2100 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है.