राज्य सरकार ने आर्टिकल 25, 26 और 31A को आधार बनाते हुए चारधाम देवस्थानम एक्ट को सही बताया.
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नैनीताल: चारधाम देवस्थानम एक्ट को चुनौती देने वाली भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है. गुरुवार को राज्य सरकार के साथ-साथ एक्ट के समर्थन में खड़ी रुलक संस्था ने अपना पक्ष रखा.
राज्य सरकार ने चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन और जस्टिस आरसी खुल्बे की बेंच के सामने आर्टिकल 25, 26 और 31A को आधार बनाते हुए चारधाम देवस्थानम एक्ट को सही बताया.
वहीं, रुलक संस्था ने सुनवाई के दौरान बद्रीनाथ और केदारनाथ की प्राचीन पूजा पद्धति और प्रबंधन के बारे में जानकारी दी. रुलक संस्था के अधिवक्ता ने कोर्ट में बताया कि 1899 में हाईकोर्ट की कुमाऊं बेंच ने ही बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिरों के प्रबंधन को अलग-अलग कर दिया था. टिहरी स्टेट को वित्तीय प्रबंधन और तीर्थ पुरोहितों को पूजा पद्धति का जिम्मा दिया.
1933 में पंडित मदन मोहन मालवीय ने बद्रीनाथ और केदारनाथ में भ्रष्टाचार का मामला उठाया था, जिसे लेकर आंदोलन भी हुए. जिसके बाद बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर में भ्रष्टाचार को खत्म करने और भक्तों को बेहत सुविधाएं देने के लिए ब्रिटिश सरकार ने 1939 में बीकेटीसी एक्ट बनाया, जो आज भी वजूद में है. रुलक संस्था ने बताया कि बीकेटीसी एक्ट का ही अपग्रेडड वर्जन है देवस्थानम बोर्ड.