विकास दुबे ने अगर बिकरू गांव में 2 जुलाई की रात 8 पुलिसकर्मियों के जघन्य हत्याकांड को अंजाम दिया था, तो ये उसकी पुरानी हिस्ट्रीशीट और कभी भी कानून के शिकंजे में नहीं आने का आत्मविश्वास ही था. उसने बेहद कम उम्र से अपराध की दुनिया में कदम रखा और एक के बाद एक हत्याएं करते हुए वो कुख्यात होता चला गया. दबंगई ऐसी, कि तमाम केसेज में उसके खिलाफ किसी ने गवाही भी नहीं दी.
- 1990: पहली बार विकास दुबे पर शिवली थाने में केस दर्ज हुआ, हालांकि ये मामले मारपीट का था.
- 1992: विकास दुबे ने सोनेलाल चतुर्वेदी नाम के शख्स की अपने गांव में ही हत्या कर दी.
- 2000: वर्ष 2000 में विकास दुबे ने एक सेवानिवृत्त शिक्षक की हत्या कर दी. बताया जाता है उसने जिस शिक्षक की हत्या की, उनके ही स्कूल से विकास दुबे ने पढ़ाई की थी.
- इस हत्या के कुछ वक्त बाद ही विकास दुबे ने एक केबल ऑपरेटर की हत्या महज 20 हजार रुपयों के लिए कर दी. इससे पहले उसने नगर पंचायत अध्यक्ष लल्लन वाजपेयी की भी हत्या की नाकाम कोशिश की
- 2002: विकास दुबे ने इस बार राज्य सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री संतोष शुक्ला की हत्या थाने में घुसकर कर दी. साल 2004 में वो इस हत्याकांड से बरी भी हो गया, क्योंकि किसी ने गवाही ही नहीं दी.
- इसके अलावा भी विकास दुबे के नाम पर अजय मिश्रा, कृष्ण बिहारी मिश्रा, कौशल तिवारी, साधु और दिनेश दुबे नाम के लोगों की हत्या करने का मुकदमा दर्ज है
- 2020: आखिरकार जब विकास दुबे ने सीओ देवेंद्र मिश्र समेत 8 पुलिसकर्मियों को बिकरू गांव में ही निर्ममता से मार डाला तब उसकी इस हिस्ट्रीशीट का अंत हो गया.
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संगीन धाराओं में दर्ज थे दर्जनों मुकदमे
विकास दुबे के नाम पर प्रदेश में कुल 62 मुकदमे दर्ज थे. इनमें से 5 मर्डर और 8 अटेम्ट टु मर्डर के मुकदमे हैं. इसके अलावा उस पर गैंगस्टर एक्ट, गुंडा एक्ट और नेशनल सिक्योरिटी एक्ट भी लग चुका था. हैरानी की बात ये है कि बावजूद इसके विकास दुबे बिकरू गांव में बेखौफ रह रहा था और पुलिस ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की थी. लेकिन शुक्रवार को एनकाउंटर के साथ ही गैंगस्टर का खेल खत्म हो गया.
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