अनूठी परंपरा वाली इस शादी में दूल्हा होता है, एक भारी-भरकम हथौड़ा होता है और फिर धूमधाम से बारात निकाली जाती है, लेकिन इससे पहले होता है कद्दू भंजन.
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प्रयागराज: होली (Holi) की मस्ती के जितने रंग हैं उतनी ही अनोखी हैं इसे मनाने की परंपराएं. ब्रज की लठमार होली के बारे में तो आपने खूब सुना होगा. आज हम आपको बता रहे हैं प्रयागराज (Prayagraj) की अनोखी होली के बारे में. प्रयागराज में होली पर हथौड़े की बारात निकालने की परंपरा है. अनूठी परंपरा वाली इस शादी में दूल्हा होता है, एक भारी-भरकम हथौड़ा होता है और फिर धूमधाम से बारात निकाली जाती है लेकिन इससे पहले होता है कद्दू भंजन.
जैसे दूल्हे राजा की भव्य बारात निकाली जाती है वैसे ही शहर की गलियों में इस हथौड़े की बारात निकाली जाती है. बारात में सैकड़ों लोग बैंड-बाजे के साथ शामिल होते हैं, लोग मस्ती में खूब डांस करते हैं. हथौड़े की बारात निकालकर संसार की बुराइयों को खत्म करने और हथौड़े के प्रहार से आतंकवाद खत्म करना का संदेश दिया जाता है. संगम नगरी में इसी के साथ शुरू हो जाती है रंगपर्व होली.
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होली पर होने वाली इस बारात में सैकड़ों बाराती शामिल हुए. हथौड़े की बारात में वही भव्यता देखने को मिली जो कि किसी शाही शादी में देखने को मिलती है. आयोजक संजय सिंह ने बताया कि सदियों से चली आ रही इस परंपरा के मुताबिक हथौड़े और कद्दू का मिलन शहर के बीचों-बीच हजारों लोगों की मौजूदगी में कराया जाता है.
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इसका मकसद समाज मे फैली कुरीतियों को खत्म करना है और लोगों के मुताबिक इसी हथौड़े से आतंक का भी अंत होगा. इस अनूठी शादी के साथ ही प्रयागराज में होली की औपचारिक तौर पर शुरूवात भी हो जाती है.
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