हमारे देश में ऐसे कई गरीब बच्चे हैं जो पढ़ना तो चाहते हैं, लेकिन व्यवस्थाओं के अभाव के कारण वह चाह कर भी पढ़ नहीं पाते.
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नई दिल्ली: उम्मीदें, आशाएं और चाह पर आज पूरी दुनिया कायम है. सपने कौन नहीं देखता, कौन नहीं चाहता कि उसका सपना एक दिन सच हो जाए, लेकिन इसके लिए जरूरत होती है तो बस हौसले की. हमारे देश में ऐसे कई गरीब बच्चे हैं जो पढ़ना तो चाहते हैं, लेकिन व्यवस्थाओं के अभाव के कारण वह चाह कर भी पढ़ नहीं पाते. उनके माता-पिता की भी कोशिश होती है कि उनके बच्चे किसी अंग्रेजी स्कूल में जाकर पढ़ें, लेकिन उनके सामने जो सबसे बड़ी समस्या होती है वह है पैसों की समस्या.
अब ऐसे ही वंचित और गरीब बच्चों की उम्मीदों और उनके सपनों को पंख लगाने का काम कर रहा है HOPE (Helping Other to Progress through education) स्कूल. यह एक ऐसा स्कूल है जो गरीब बच्चों को पढ़ाता है और उनके भविष्य को उज्जवल बनाने की भरपूर कोशिश कर रहा है. आमतौर पर ऐसे स्कूलों को कोई सरकारी या गैरसरकारी संस्थाओं द्वारा संचालित किया जाता है, लेकिन HOPE को संचालित करने का बीड़ा गाजियाबाद के इंदिरापुरम स्थित सेंट थॉमस स्कूल ने उठाया है.
बता दें, इस स्कूल के चेयरमैन रहे फादर सजी योहानन ने HOPE स्कूल की शुरुआत की थी, जहां गरीब बच्चों को शिक्षा दी जाती है और इसका पूरा खर्च भी सेंट थॉमस द्वारा ही उठाया जाता है. यहां बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियों और शिष्टाचार का पाठ भी पढ़ाया जाता है. आज इस HOPE स्कूल में 100 से भी ज्यादा बच्चे शिक्षा ले रहे हैं. इस HOPE में 20 से 22 शिक्षक भी शामिल हैं, जो अपना समय इन बच्चों को मुफ्त में देते हैं.
सेंट थॉमस स्कूल के चेयरमैन फादर सजी मैथ्यूज ने अपने पूर्व चेयरमैन फादर सजी योहानन के कार्यों को जारी रखते हुए इसे एक नई दिशा प्रदान की है. चेयरमैन फादर सजी मैथ्यूज ने कहा कि उनका प्रयास आने वाले समय में इन गरीब बच्चों के लिए और अधिक सुविधाएं जुटाने पर रहेगा, इसमें ऐसे और भी बच्चों को शामिल किया जाएगा. गौरतलब है कि HOPE में पढ़ने वाले बच्चों को मुफ्त में शिक्षा प्रदान की जाती है.
HOPE स्कूल की कॉर्डिनेटर वनिता बताती हैं कि इस HOPE स्कूल की स्थापना साल 2015-2016 में की गई थी. आज यह स्कूल अपना दूसरा वार्षिक दिवस मना रहा है यानी इस स्कूल के दो साल पूरे हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि 20 से 22 शिक्षक यहां गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देते हैं. यहां पढ़े रहे बच्चे जितना कुछ करना चाहते हैं, उसके लिए उन्हें हमारी ओर से पूरा गाइडेंस दिया जाता है.
HOPE के दूसरे वार्षिक दिवस पर स्कूल द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन शनिवार को किया गया, जहां बच्चों ने बहुत ही उत्साह से इस कार्यक्रम में भाग लिया. इस कार्यक्रम में बच्चों के पेरेंट्स भी स्कूल में मौजूद थे.
HOPE स्कूल में पढ़ रहे एक छात्र आशिफ अली का कहना है कि वह यहां पिछले दो सालों से पढ़ रहे हैं यानी जब से इस स्कूल की स्थापना की गई. उनका कहना है कि यहां उन्हें वह सारी चीजें सिखाई जाती है जो उनके लिए जरूरी है. वह बचपन से ही पढ़ना चाहते थे, लेकिन उनके पास कोई व्यवस्था नहीं थी कि वह किसी स्कूल में जाकर पढ़ सके. आज आशिफ हिंदी के साथ अंग्रेजी में भी थोड़ी बहुत बात कर लेते हैं. आशिफ पार्ट टाइम जॉब के साथ-साथ यहां पढ़ाई भी कर रहे हैं और इसमें यह HOPE स्कूल इनकी पूरी मदद करता है.
वहीं, इसी स्कूल का दूसरा बच्चा कुर्बान को सेंट थॉमस में एडमिशन भी मिल चुका है. इसका मतलब साफ है कि HOPE स्कूल में सबकुछ सीखने के बाद सेंट थॉमस स्कूल उन्हें अपने मख्य ब्रांच में दाखिला भी देता है और वह भी बिलकुल मुफ्त में, ताकी उन बच्चों की आगे की शिक्षा और भी बेहतर हो जाए.
यहां देखें HOPE स्कूल के दूसरे वार्षिक कार्यक्रम की कुछ और तस्वीरें-