जब श्रीराम को सबसे प्रिय लक्ष्मण को देना पड़ा था मृत्युदंड, जानें रामायण की अनोखी कहानी
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2473910

जब श्रीराम को सबसे प्रिय लक्ष्मण को देना पड़ा था मृत्युदंड, जानें रामायण की अनोखी कहानी

Ramayan Ki Anokhi Kahani: ज्यादातर लोगों को रामायण के बारे में इतनी ही कहानी मालूम है कि रावण वध के बाद अयोध्या लौटकर श्रीराम का राज्यभिषेक हुआ. श्रीराम ने सीता को निर्वासन दिया, लव और कुश का जन्म हुआ और बाद में सीता की मृत्यु हो गई, लेकिन इसके बाद उत्तर रामायण में बताया गया है कि श्रीराम को अपने भाई लक्ष्मण को मृत्युदंड देना पड़ा था. क्या है यह कहानी आपको बताते हैं. 

जब श्रीराम को सबसे प्रिय लक्ष्मण को देना पड़ा था मृत्युदंड, जानें रामायण की अनोखी कहानी

Ramayana Interesting Story: राम विवाह से लेकर रावण वध तक सभी ने रामायण में श्रीराम और लक्ष्मण के भ्राता प्रेम के किस्से सुने हैं. वनवास राम को मिला था लेकिन लक्ष्मण राम के प्रेमवश उनके साथ वनवास को गए, हर कदम पर उनके साथ रहे, उनकी हर आज्ञा का पालन किया, बताया तो यहां तक जाता है कि वनवास के दौरान श्रीराम की सेवा दिन-रात कर सकें इसके लिए लक्ष्मण ने नींद की देवी से 14 बरस तक न सोने का वरदान भी लिया था. लेकिन उत्तर रामायण में बताया गया है कि कैसे श्रीराम को परिस्थितिवश अपने ही सबसे प्रिय भाई लक्ष्मण को मृत्युदंड देना पड़ा था. क्या यह कहानी, आपको विस्तार सुनाते है. 

यमराज ने राम के सामने रखी शर्त
ये बात उन दिनों की है जब श्रीराम रावण वध के बाद अयोध्या लौटकर राजभर संभाल रहे थे. एक दिन यमराज मुनि के वेश में श्रीराम के पास आए और उनसे उनसे अकेले में बातचीत करने का अनुग्रह किया, लेकिन यमराज के रूप में मुनि ने श्रीराम के सामने यह भी शर्त रख दी कि वह बात तभी करेंगे जब कोई उनकी बातचीत के बीच में बाधा नहीं डालेगा, अगर कोई ऐसा करता है तो श्रीराम को उसे मृत्युदंड देना होगा.  

श्रीराम ने यमराज की शर्त स्वीकारी
श्रीराम ने मुनि रुपी यमराज की शर्त स्वीकार कर ली. श्रीराम ने द्वारपाल के रूप में अपने प्रिय भाई लक्ष्मण को ही कक्ष के बाहर तैनात कर दिया और निर्देश दिया कि जब तक वो बाहर ना आएं वो किसी को भी कक्ष के अंदर ना जाने दें. श्रीराम और मुनि के रूप में यमराज कक्ष के अंदर गए ही थे कि कुछ ही देर में ऋषि दुर्वासा श्रीराम से मिलने के लिए राजमहल आ पहुंचे. उन्होंने लक्ष्मण को बताया कि वह राम से तुरंत मिलना चाहते हैं. लक्ष्मण ने ऋषि दुर्वासा को प्रणाम करते हुए कहा कि अभी आप श्रीराम से नहीं मिल सकते हैं. 

ये भी पढ़ें: कुंभकरण को 6 महीने सोने का वरदान था या अभिशाप, जानें इंद्र और ब्रह्मा जी ने कैसे किया छल

 

लक्ष्मण पर क्रोधित हुए ऋषि दुर्वासा
लक्ष्मण ने ऋषि दुर्वासा से कुछ देर इंतजार करने का आग्रह किया लेकिन ऋषि दुर्वासा बहुत जल्दी में थे, वो तुरंत राम से मिलना चाहते थे. पौराणिक कथाओं में ऋषि दुर्वासा जो अपने क्रोध और श्राप देने के लिए जाने जाते हैं लक्ष्मण की बात सुनकर क्रोध से आग बबूला हो उठे. उन्होंने लक्ष्मण को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उन्होंने राम से उन्हें नहीं मिलने दिया तो वो अयोध्या तो भस्म कर देंगे. ऋषि दुर्वासा के ये कथन सुनकर लक्ष्मण दुविधा में पड़ गए. दुविधा इस बात की कि अगर वो ऋषि दुर्वासा को राम से मिलने के लिए जाने देते हैं तो राम उन्हें मुझे मृत्युदंड दे देंगे और अगर वो ऋषि दुर्वासा को रोकते हैं तो दुर्वासा श्राप देकर अयोध्या को नष्ट कर देंगे. 

दुविधा में पड़ गए श्रीराम
आखिर लक्ष्मण अयोध्या की खातिर ऋषि दुर्वासा का संदेश देने के लिए राम के पास कक्ष में गए. लक्ष्मण की बात सुन श्रीराम ने जल्दी से मुनि (यमराज) से बात खत्म की और दुर्वासा से मिलने आ गए. दुर्वासा से मुलाकात के बाद अब श्रीराम दुविधा में थे कि अब उन्हें अपने वचन अनुसार लक्ष्मण को मृत्युदंड देना होगा. 

श्रीराम को करना पड़ा प्रिय लक्ष्मण का त्याग
काफी देर सोच विचार के बाद भी जब श्रीराम को कुछ नहीं सूझा तो उन्होंने अपने गुरु को याद किया. गुरु ने श्रीराम को सुझाव दिया कि किसी अपने का त्याग करना भी मृत्युदंड के समान ही होता है. इसलिए तुम्हें लक्ष्मण का त्याग करना होगा. 

इस प्रकार मुनि (यमराज) को दिये वचन का पालन करने के लिए श्रीराम को अपने सबसे प्रिय लक्ष्मण को ही मृत्युदंड देना पड़ा. बताया जाता है कि राम के वचन का पालन करने के लिए लक्ष्मण ने जल समाधि लेकर अपने प्राण त्याग दिये थे.  

Disclaimer: यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

ये भी पढ़ें: करवा चौथ व्रत में सरगी क्यों महत्वपूर्ण, अगर सास न हो तो कौन दे सकता है सरगी

 

Trending news