न मिला निमंत्रण, न दिखा शिलापट्ट पर नाम, नाराज होकर BJP विधायक ने जमकर काटा हंगामा
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न मिला निमंत्रण, न दिखा शिलापट्ट पर नाम, नाराज होकर BJP विधायक ने जमकर काटा हंगामा

बीते शनिवार बलुआ गांव में शहीद स्मारक गेट के शिलान्यास के कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस आयोजन के शिलापट्ट पर बीजेपी विधायक रमेश चंद्र मिश्र का नाम ही नहीं था. 

न मिला निमंत्रण, न दिखा शिलापट्ट पर नाम, नाराज होकर BJP विधायक ने जमकर काटा हंगामा

जौनपुर: उत्तर प्रदेश के जौनपुर में हुए एक विकास कार्य को लेकर जनप्रतिनिधियों की अनदेखी की वजह से नाराज बीजेपी विधायक ने हंगामा खड़ा कर दिया और अफसरों पर टूट पड़े. दरअसल, जौनपुर जिले के बलुआ गांव में शहीद स्मारक शिलान्यास कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जहां बदलापुर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक रमेश चंद्र मिश्र ने निमंत्रण न मिलने पर जमकर हंगामा काटा और आयोजकों पर भी गुस्सा निकाला. विधायक के इस तेवर से वहां पर मौजूद लोग दहल गए और शिलान्यास कार्यक्रम भी नहीं हो सका.

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निमंत्रण न मिलने पर जमकर बरसे विधायक
गौरतलब है कि बीते शनिवार को बलुआ गांव में शहीद स्मारक गेट के शिलान्यास के कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस आयोजन के शिलापट्ट पर बीजेपी विधायक रमेश चंद्र मिश्र का नाम ही नहीं था. इतना ही नहीं, अफसरों ने इस कार्यक्रम में उन्हें आमंत्रण ही नहीं भेजा था. जब विधायक रमेश चंद्र को इस बात की भनक हुई तो वह अपने समर्थकों के साथ सीधे मौके पर पहुंच गए. इसके बाद तो वह जम कर बिगड़े और अधिकारियों को भी खूब खरी-खोटी सुनाई. इसके बाद उन्होंने सीएम योगी से पूरे मामले की शिकायत करने की बात कही और गुस्से में ही वहां से चले गए. 

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आधे रास्ते से वापस लौट गए अफसर
विधायक की नाराजगी को देखकर कार्यक्रम में शामिल होने आ रहे अफसर भी मौके की नजाकत भांपते हुए बीच रास्ते से ही लौट गए। उधर दूसरी शहीद जमींदार सिंह के पर-पोते प्रभात विक्रम सिंह ने विधायक रमेश चंद्र मिश्र के इस व्यवहार पर नाराजगी जताई.

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विधायक ने बताई अफसरों की तानाशाही
विधायक रमेश चंद्र मिश्र का कहना था कि सरकार का शासनादेश है कि जब भी किसी विधानसभा क्षेत्र में सरकार की तरफ से विकास कार्य करवाया जाता है तो उनके शिलापट्ट में स्थानीय विधायक का नाम होना जरूरी है. साथ ही विधायक को आमंत्रित भी किया जाना चाहिए. आदेश यह भी था कि उद्घाटन या शिलान्यास में वह विधायक कार्यक्रम में मौजूद रहेगा. इसके बावजूद अफसरों ने उन्हें नजरअंदाज किया. उनका कहना था कि अफसरों की इस तानाशाही की शिकायत वह सीएम योगी आदित्यनाथ से करेंगे.

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