गायों को ठंड से बचाने के लिए पहनाए थे कोट, PM मोदी ने की कौशाम्बी जेल की सराहना
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गायों को ठंड से बचाने के लिए पहनाए थे कोट, PM मोदी ने की कौशाम्बी जेल की सराहना

रविवार 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए देशवासियों से जुड़े. इस दौरान उन्होंने आत्मनिर्भर भारत, स्वच्छता अभियान, वोकल फॉर लोकल, तेंदुओं की बढ़ती संख्या समेत कई मुद्दों का जिक्र किया.

गायों को ठंड से बचाने के लिए पहनाए थे कोट, PM मोदी ने की कौशाम्बी जेल की सराहना

कौशाम्बी: रविवार 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए देशवासियों से जुड़े. इस दौरान उन्होंने आत्मनिर्भर भारत, स्वच्छता अभियान, वोकल फॉर लोकल, तेंदुओं की बढ़ती संख्या समेत कई मुद्दों का जिक्र किया. साथ ही पीएम ने कौशाम्बी जेल की सराहना करते हुए कहा कि गौरक्षा के लिए कैशाम्बी जेल ने एक अच्छा कदम उठाया है. इस बात पर गर्व महसूस करते हुए डीजी कौशाम्बी जेल ने अपनी टीम को शुभकामनाएं दी हैं.  

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डीजी जेल दी ने टीम को बधाई
डीजी जेल आनंद कुमार ने टीम को बधाई देते हुए कहा कि, 'हम सभी के लिए गर्व की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में कौशाम्बी जेल का उल्लेख किया है. पीएम मोदी ने गौ रक्षा को लेकर कौशाम्बी जेल की सराहना की है. ठंड से गायों को बचाने के लिए उन्हें कोट पहनाना एक अच्छा कदम है. इसके लिए मैं मुकुंद (जेल अधीक्षक बी.एस मुकुंद) और उनकी टीम को संवेदनशीलता दिखाने के लिए बधाई देना चाहूंगा.' 

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कैदियों ने बनाए थे कंबलों के कोट
दिसंबर की शुरुआत में कौशाम्बी जेल के कैदियों ने गायों के लिए पुराने और फटे हुए कंबल का इस्तेमाल कर उन्हें ठंड से बचाने के लिए कोट बनाए हैं. उस समय कौशाम्बी जिले के जेल अधीक्षक बी.एस. मुकुंद ने बताया था कि 10 कैदियों की एक टीम मवेशियों के लिए कवर की सिलाई कर रही है. मंझनपुर की एक गौशाला में 50 ऊनी कवर के एक पैकेट की आपूर्ति की जा रही है. 

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कई जेलों से इकट्ठे किए गए थे कंबल
जेल अधीक्षक का कहना था कि उन्होंने कई जेलों से पुराने और फटे हुए कंबल इकट्ठा किए थे और उन्हें कपड़े की पॉलिथीन की मोटी चादर के साथ सिलाई करके मवेशियों के लिए कोट बनाने के लिए उपयोग किया गया था. उन्होंने जानकारी दी थी कि सर्दियों के दौरान कैदियों को दिए गए कंबल आमतौर पर लगभग तीन साल तक चलते हैं. उसके बाद उन कंबलों का इस्तेमाल गायों के लिए कोट बनाने के लिए किया जाता है.

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