UP:आजादी के दशकों बाद भी स्वतंत्रता सेनानियों के इस गांव में विकास नहीं
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UP:आजादी के दशकों बाद भी स्वतंत्रता सेनानियों के इस गांव में विकास नहीं

काझा गांव में सेनानियों के परिवारों को सविधाएं मुहैया नहीं कराई जा रही है. 

गांव में विकास नहीं

विजय मिश्रा/मऊ: उत्तर प्रदेश के मऊ जिले का काझा गांव स्वतंत्रता सेनानियों के नाम से जाना जाता है. इस गांव से निकले 56 स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी की लड़ाई में भूमिका निभाई थी. लेकिन आज इस गांव में सेनानियों के परिवारों को ही सविधाएं मुहैया नहीं कराई जा रही है. आजादी के दशकों बाद भी यह गांव मूलभूत विकास के इंतजार में है.

ग्रामीणों का कहना है कि आज तक उनका हाल जानने के लिए गांव में कोई नेता और जनप्रतिनिधि नहीं आया है, केवल चुनाव के वक्त वोट मांगे आते हैं. लोगों का कहना है कि गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं का भी बुरा हाल है. अस्पताल में डॉक्टरों की कमी की वजह से लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता है.

आपको बता दें कि सुभाष चन्द्र बोस की सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर रहे और उनकी फौज के शामिल सिपाही काझा गांव से ही थे. नेताजी सुभाष चंद बोस की आर्मी में लेफ्टिनेंट के पद रहने वाले मदन मोहन दुबे के बेटे संतोष दुबे बताते हैं कि गांव में विकास कार्य बेहद कम हुआ है. स्वतंत्रता सेनानियों की याद में गांव में अब तक कोई स्मारक नहीं बनाया गया है.

गौरतलब है कि, इस गांव में अंग्रेजों की जुल्म की निशानियां आज भी मौजूद हैं, अंग्रेजों ने अपने स्वास्थय सुविधा के लिए अस्पताल बनवाया था, जो आज भी गांव में खंडहर के रुप में है. साथ ही गांव में अंग्रेजों द्वारा प्राथमिक स्कूल भी खंडहर में तब्दील हो चुका है.

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