कानपुर: BIC के बंगले पर 11 साल से कब्जा जमाए पूर्व DGP पर चला कोर्ट का कोड़ा, बंगला खाली करने के साथ 3 करोड़ जमा करने होंगे
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कानपुर: BIC के बंगले पर 11 साल से कब्जा जमाए पूर्व DGP पर चला कोर्ट का कोड़ा, बंगला खाली करने के साथ 3 करोड़ जमा करने होंगे

Kanpur News: पूर्व डीजीपी राघवेंद्र अवस्थी ने रिटायरमेंट के बाद भी बीआईसी के तीन बंगले पर कब्जा कर रखा था. इस मामले पर सुनवाई करते हुए जिला कोर्ट ने पूर्व डीजीपी को एक हफ्ते के अंदर बंगलों को खाली करने का आदेश दिया है. 

कानपुर: BIC के बंगले पर 11 साल से कब्जा जमाए पूर्व DGP पर चला कोर्ट का कोड़ा, बंगला खाली करने के साथ 3 करोड़ जमा करने होंगे

श्याम जी तिवारी/कानपुर: कानपुर में पूर्व डीजीपी राघवेंद्र अवस्थी को एक सप्ताह के अंदर ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन (बीआईसी) के तीन बंगलों को खाली करना होगा. इतना ही नहीं उन्हें तीन करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति भी देनी होगी. डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज ने रिटायर्ड डीजीपी की अपील खारिज करते हुए रकम न देने पर प्रशासन को वसूली के आदेश दिए हैं. वहीं, कोर्ट ने पूर्व डीजीपी के खिलाफ सख्त टिप्पणी भी की है.

क्या है मामला? 
दरअसल, राघवेंद्र अवस्थी वर्ष 2006 में डेपुटेशन पर बीआईसी के चीफ विजिलेंस अफसर थे. सुरक्षा अधिकारी के दौरान उनको रहने के लिए आवास दिया गया. आवास पाने के बाद उन्होंने लंबे समय तक उस आवास पर अपना कब्जा बनाए रखा. उन्होंने 10/470 खलासी लाइन परिसर के दो बंगले व 6/29, पार्वती बागला रोड स्थित एक बंगले पर कब्जा कर लिया. 11 अप्रैल 2011 में उनका रिटायरमेंट हो गया. इसके बाद भी उन्होंने बंगले खाली नहीं किए. मिनिस्ट्री ने भी बंगला खाली करने को कहा, लेकिन उन्होंने कब्जा बरकरार रखा. 

इस पर बीआईसी के तत्कालीन स्टेट ऑफिसर व जीएम मनोज वर्मा ने एक करोड़ 27 लाख 77 हजार 400 रुपये की क्षतिपूर्ति के साथ बंगला खाली करने का आदेश दिया था. जिसके खिलाफ राघवेंद्र ने जिला जज कोर्ट में अपील दाखिल की थी. जिसे जिला जज ने खारिज करते हुए कोर्ट ने एक हफ्ते में बंगले को खाली करने और क्षतिपूर्ति देने का आदेश जारी किया है.

कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी 
बीआईसी अधिवक्ता पवन तिवारी ने बताया कि बंगलों की कीमत तीन करोड़ रुपये बताई जा रही है. ऐसे में पूर्व डीजीपी को भूराजस्व के रूप में विधि अनुसार प्रति माह की दर से क्षतिपूर्ति ब्याज समेत देनी होगी. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अपने आदेश में पूर्व डीजीपी के खिलाफ सख्त टिप्पणी की है. टिप्पणी में कोर्ट ने कहा है कि किसी भी सक्षम पद पर बैठे व्यक्ति को अपने पद का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए. अन्यथा सामान्य वर्ग के लोगों के मन में संदेश जाता है कि कानून का दुरुपयोग सत्ता से जुड़ा कोई भी व्यक्ति कर सकता है. 

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