अयोध्या-बद्रीनाथ की भूल केदारनाथ में नहीं दोहराना चाहती बीजेपी, फूंक-फूंक कर रख रही कदम
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अयोध्या-बद्रीनाथ की भूल केदारनाथ में नहीं दोहराना चाहती बीजेपी, फूंक-फूंक कर रख रही कदम

बीजेपी और कांग्रेस के बीच केदरानाथ सीट पर 3-2 का मुकाबला रहा है. बीजेपी को जहां इस सीट पर 2002, 2007 और 2022 में कामयाबी मिली तो बाकी के चुनाव कांग्रेस के फायदे में रहे.

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Kedarnath Upchunav: 70 विधानसभा सीटों वाली उत्तराखंड विधानसभा में केदारनाथ सीट का अपना एक विशेष महत्व है. इस साल जुलाई में इस सीट से विधायक शैला रानी रावत का निधन हो गया था. जिसके बाद अब इस सीट पर उपचुनाव होना है. 2022 के चुनाव में यह सीट बीजेपी के खाते में आई थी. अब देखना यह है कि इस बार उपचुनाव में बीजेपी जीत दोहरा पाती है या नहीं. इस सीट पर 20 नवंबर को मतदान होना है. 23 नवंबर को रिजल्ट आएगा.

चुनावी तैयारियों की बात की जाए तो चुनाव ऐलान से पहले ही सीएम धामी ने बीते दिनों में केदारनाथ का दौरा किया और विधानसभा के लोगों के लिए कई ऐलान किए. यही नहीं इस सीट पर बीजेपी और आरएसएस कार्यकर्ता भी काफी सक्रिय हैं. वहीं कांग्रेस ने भी केदारनाथ तक की यात्री की और दिल्ली में केदारनाथ बनाए जाने का विरोध किया है. बीजेपी चाह रही है कि वह सीट जीत जाए लेकिन कांग्रेस केदारनाथ मंदिर से सोना चोरी होने का मुद्दा उठाएगी. आपको बता दें कि कांग्रेस ने इस सीट के लिए दो पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं. गणेश गोदियाल और लखपत बुटोला को जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसके अलावा भुवन कापड़ी और वीरेंद्र जाति भी पर्यवेक्षक हैं.

मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी ने राज्य के पांच कैबिनेट मंत्रियों और संगठन की टीम को चुनावी तैयारी में झोंका हुआ है. फिलहाल उम्मीदवारों का ऐलान इस सीट पर नहीं हुआ है. गौरतलब है कि इस साल जहां लोकसभा चुनाव में बीजेपी जहां अयोध्या (फैजाबाद सीट) हार गई थी तो वहीं बद्रीनाथ उपचुनाव में भी बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा था. अब देखना होगा कि केदारनाथ में पार्टी का क्या होता है. क्योंकि अयोध्या, बद्रीनाथ, केदारनाथ हिंदुओं के प्रमुख तीर्थस्थल हैं तो लोग केदारनाथ सीट पर धार्मिक एंगल भी खोज रहे हैं.

केदरानाथ सीट का चुनावी इतिहास

2022: 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता शैला रानी रावत बीजेपी में आ चुकी थीं. भगवा पार्टी ने उन पर भरोसा जताया तो उन्होंने इस सीट पर जीत हासिल की. शैला रानी रावत ने निर्दलीय कुलदीप रावत को हराया था.

2017: 2017 में सूबे में तो बीजेपी की सरकार बन गई लेकिन वह केदारनाथ सीट नहीं जीत सकी. उस समय कांग्रेस के मनोज रावत को इस सीट पर जीत मिली थी. उन्होंने निर्दलीय कुलदीप सिंह रावत को सिर्फ 869 वोटों से हराया था.

2012: 2012 में हवा का रुख बदला था और पहली बार कांग्रेस इस सीट से जीती. उस समय शैला रानी रावत ने दो बार की इस सीट से विधायक आशा नौटियाल को हराया था.

2007: वर्ष 2007 में भी आशा नौटियाल ने यह सीट जीती और सीट बीजेपी के खाते में रही. उस समय आशा नौटियाल ने कांग्रेस के कुंवर सिंह नेगी को हराया था.

2002: केदारनाथ सीट के पहले विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो यहां से पहली बार बीजेपी जीती थी. साल 2002 में आशा नौटियाल को कामयाबी मिली थी. उस समय कांग्रेस की शैला रानी रावत दूसरे पायदान पर रही थीं.

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