यूपी के इस जिले में मौजूद है `घटिया आजम खां`, जानें वजीर आजम खां से कनेक्शन
ताजनगरी आगरा में दो ऐसी जगहें हैं, जिनका नाम बड़ा ही अलग है. इनका अपना इतिहास भी है. पहली जगह `घटिया आजम खां` और दूसरी `माई थान`. आज हम इन दो जगहों के नाम के पीछे की दिलचस्प कहानी बताने जा रहे हैं.
आगरा: हमारे देश में ऐसे कई स्थान हैं, जिनका अपना अलग इतिहास है. ऐसा ही एक इतिहास है उत्तर प्रदेश की ताजनगरी आगरा में स्थित इलाके 'घटिया आजम खां' का है. इस जगह का नाम सुनकर आप बेशक हैरान हो रहे होंगे कि आखिर इसका नाम ऐसा क्यों है ? तो चलिए आपको बताते हैं इसके पीछे की कहानी.
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क्यों नाम पड़ा नाम 'घटिया आजम खां' ?
दरअसल, इस इलाके का नाम घटिया आजम खां इसलिए पड़ा क्योंकि पहले यहां पर एक घाटी हुआ करती थी. जानकारी के मुताबिक आगरा के इस जगह पर मुगल बादशाह जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर का एक वजीर रहता था. उनका नाम था मिर्जा अजीज कोका. घाटी में ही उनकी हवेली थी. अकबर ने उन्हें खान-ए-आजम की उपाधि भी दी थी. क्योंकि यह घाटी काफी नीचे थी, इसलिए स्थानीय लोग इसे 'घटिया' कहकर बुलाने लगे. ऐसे ही धीरे-धीरे समय के साथ इस जगह का नाम 'घटिया आजम खां' पड़ गया. बता दें कि पहले के समय में घाटी होने के कारण आज भी इस इलाके में बरसात के मौसम में पानी भर जाता है.
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अब यहां फर्नीचर मंडी है
आज इस जगह पर एक बड़ी फर्नीचर मंडी है. यहां पर करीब 100 से भी ज्यादा फर्नीचर के बड़े-बड़े शोरूम और दुकान हैं. जहां लोहे की अलमारी, कांच की मेज से लेकर लकड़ी के तमाम फर्नीचर मिलते हैं. लोग यहां खरीददारी भी करने आते हैं.
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'माई थान' जगह का भी है अपना इतिहास
ऐसे ही आगरा में एक और जगह 'माई थान' नाम की है, जो फुलट्टी बाजार और छिली ईंट रोड के बीच स्थित है. यह इलाका भी मुगलकाल के समय से यहां पर है. घटिया आजम खां की तरह इसका भी इतिहास है.
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क्या है इसके पीछे की कहानी?
दरअसल, यहां पर जस्सी नाम की एक महिला रहती थी. जिसे गुरु तेग बहादुर माई कहकर बुलाया करते थे. जिसके बाद से ही इस जगह को 'माई का स्थान' कहा जाने लगा था. समय बदलने के साथ इसका नाम भी बदला. लोग इसको 'माई का थाना' कहकर बुलाने लगे. बाद में इसे 'माई थान' के नाम से जाना जाने लगा.
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