उत्पन्ना एकादशी का व्रत सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है. ऐसी मान्यता है कि यह व्रत कलह और तनाव का नाश करता है.
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नई दिल्ली: हिंदू पंचाग के अनुसार मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है. इस बार यह तिथि आज यानि 11 दिसंबर को है. हिंदू धर्म में उत्पन्ना एकादशी को बहुत ही विशेष माना गया है. इस दिन भगवान विष्णु और देवी एकादशी की पूजा-अर्चना पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है. शुक्रवार होने के कारण इसका महत्व बढ़ जाता है.
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क्यों मनाई जाती है उत्पन्ना एकादशी?
पौराणिक कथा के अनुसार एकादशी नाम की एक देवी थीं, जिनका जन्म भगवान विष्णु के आर्शीवाद से हुआ था. एकादशी के दिन प्रकट होने के कारण ही यह दिन उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है.
व्रत और पूजा विधि
एकादशी तिथि पर प्रात: काल उठकर नहाने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा शुरू करें. इसके बाद शाम को भी भगवान विष्णु की पूजा विधि-विधान से करें. शाम की पूजा में मां लक्ष्मी जी की पूजा का विशेष महत्व है. पूजा करने के बाद घर के मुख्य दरवाजे पर घी का दीपक जलाएं. ऐसा करने से लक्ष्मी जी का आर्शीवाद प्राप्त होता है. इस दिन दान का भी विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन जरूरतमंदों को दान करने से सभी पाप नष्ट होते हैं.
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उत्पन्ना एकादशी तिथि व मुहूर्त
11 दिसंबर 2020: संध्या पूजन मुहूर्त: शाम 5:43 - 7:03 बजे तक
12 दिसंबर 2020: पारण- सुबह 6:58 बजे से सुबह 7:02 मिनट तक
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इन चीजों का रखें विशेष ध्यान
1. मान्यताओं के अनुसार एकादशी के दिन चावल नहीं खाया जाता. माना जाता है कि इस दिन चावल का सेवन करने से मनुष्य का जन्म रेंगने वाले जीव की योनि में होता है. जिन लोगों ने व्रत नहीं भी रखा है, उन्हें भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.
2. इस पावन पर्व के दिन मांस- मंदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दिन ऐसा करने से जीवन में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
3. इस पावन दिन केवल सात्विक भोजन का ही सेवन करें.
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