जानें कौन हैं उत्तराखंड BJP के पर्यवेक्षक अनिल बलूनी, जिनके नाम की हो रही चर्चा
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand862540

जानें कौन हैं उत्तराखंड BJP के पर्यवेक्षक अनिल बलूनी, जिनके नाम की हो रही चर्चा

मौजूदा समय में अनिल बलूनी मीडिया संबंधित सभी कार्यों को देखते हैं और पार्टी के संबंध में हर खबर पर उनकी नजर रहती है. जरूरत पड़ने पर अनिल हस्तक्षेप भी करते हैं. 

जानें कौन हैं उत्तराखंड BJP के पर्यवेक्षक अनिल बलूनी, जिनके नाम की हो रही चर्चा

देहरादून: उत्तराखंड की राजनीति में उठा-पठक के बीच अनिल बलूनी मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. सूत्रों के हवाले से यह भी खबर है कि एक साल के लिए प्रदेश में उप मुख्यमंत्री पद भी पार्टी के किसी एक नेता को मिल सकता है. बलूनी के बाद दूसरा नाम धन सिंह रावत का है, जो राज्य के शिक्षा मंत्री पद पर हैं. हालांकि, अटकलें सतपाल महाराज और अजय भट्ट को लेकर भी हैं. हालांकि, सीएम की कुर्सी पर कौन बैठेगा, यह अभी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन एक बात साफ है कि इन चारों में से किन्हीं 2 को प्रदेश सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी. 

ये भी पढ़ें: टमाटर और गोभी ला रहे किसान की आंख में आंसू, लागत तो दूर, नहीं निकल रहा भाड़ा

कौन हैं अनिल बलूनी?
अनिल बलूनी उत्तराखंड से राज्यसभा और बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी हैं. उन्होंने उत्तराखंड की जमीन से ही सियासत सीखी है. बलूनी को शांत स्वभाव के नेताओं में गिना जाता है. वह हर शब्द को नाप-तौल कर बोलने वाले व्यक्ति हैं. इस वजह से सामने वाले को कभी पता नहीं चलता कि उनके दिमाग में क्या चल रहा है. एक समय अनिल बलूनी पत्रकार हुआ करते थे और आज वह पीएम मोदी और अमित शाह के करीबियों में गिने जाते हैं. पार्टी में उनकी अच्छी पकड़ है. कहा जाता है कि अनिल उत्तराखंड के लोगों की नब्ज टटोलने में माहिर हैं.

ये भी पढ़ें: Kumbh 2021: शाही स्नान से पहले क्यों होती है पेशवाई? जानें क्या है इसका अर्थ और महत्व

कोटद्वार से लड़ा था पहला उपचुनाव
अनिल बलूनी का जन्म 2 सितंबर 1972 को उत्तराखंड में हुआ था. राज्य के नकोट गांव में जन्मे बलूनी युवावस्था से ही राजनीति में एक्टिव हैं. वे पहले भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के प्रदेश महामंत्री रहे, फिर निशंक सरकार में वन्यजीव बोर्ड में उपाध्यक्ष, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और फिर राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख बने. अनिल 26 साल की उम्र में राजनीति में उतर आए थे और राज्य के पहले विधानसभा चुनाव 2002 में कोटद्वार सीट चुनाव लड़ने की तैयारी की थी. लेकिन उनका नामांकन निरस्त कर दिया गया था. इस बात से नाराज बलूनी ने कोर्ट पहुंच गए थे और फिर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2004 में कोटद्वार से उपचुनाव लड़ा. हालांकि, वह हार गए थे. इसके बाद भी उनकी राजनीति से कभी रुचि कम नहीं हुई और हमेशा सक्रिय रहे. 

बने सुंदर सिंह भंडारी के OSD
जर्निलिज्म की पढ़ाई के दौरान भी अनिल बलूनी राजनीति में एक्टिव थे और दिल्ली संघ परिवार के दफ्तरों के आसपास घूमा करते थे. संघ के जाने-माने नेता सुंदर सिंह भंडारी से उनकी दोस्ती हुई. जब सुंदर सिंह भंडारी को बिहार का राज्यपाल बनाया गया, तो उन्होंने अनिल बलूनी को अपना ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (OSD) चुना. इसके बाद सुंदर जब गुजरात के राज्यपाल बने तो भी बलूनी को साथ ले गए. यह वह समय था, जब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी हुआ करते थे.

ये भी पढ़ें: अगर बेकार समझ कर फेंक देते हैं अदरक के छिलके, तो न करें ऐसी गलती, होते हैं कई फायदे

नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने भी माना भरोसेमंद
अनिल बलूनी ने नरेंद्र मोदी के साथ दोस्ती बढ़ाई और धीरे-धीरे उनके पसंदीदा लोगों के बीच जगह बना ली. अमित शाह के 2014 में अध्यक्ष बनने के बाद अनिल बलूनी को पार्टी प्रवक्ता और मीडिया प्रकोष्ठ का प्रमुख बनाया गया. वह अमित शाह के भी भरोसेमंद लोगों में शामिल हो गए.

रखते हैं पार्टी की हर खबर पर नजर
मौजूदा समय में अनिल बलूनी मीडिया संबंधित सभी कार्यों को देखते हैं और पार्टी के संबंध में हर खबर पर उनकी नजर रहती है. जरूरत पड़ने पर अनिल हस्तक्षेप भी करते हैं. इसके अलावा वह शाह और पीएम मोदी के मीडिया संबंधी कार्यक्रमों को मैनेज करते हैं. पार्टी की छवि पर अगर कोई बात आती है, तो अनिल बलूनी स्थिति संभालने के लिए पार्टी के प्रवक्ताओं और वरिष्ठ नेताओं को काम पर लगाते हैं.  

WATCH LIVE TV

Trending news