कुमाऊं के आदिवासियों को नहीं मिल रहा सरकार का साथ, राशन के लिए नेपाल पर निर्भर
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कुमाऊं के आदिवासियों को नहीं मिल रहा सरकार का साथ, राशन के लिए नेपाल पर निर्भर

सरकार प्रत्येक परिवार को पांच किलो गेहूं और दो किलो चावल आवंटित करती है जो बहुत कम है

वह नेपाल के बाजारों से अपनी जरूरत का राशन खरीदते हैं.

पिथौरागढ़: उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के कुछ सीमावर्ती गांवों के आदिवासी नेपाल के बाजारों से खरीदे गए चीनी अनाज पर निर्भर हैं. इसका कारण सरकारी राशन की कम आपूर्ति बताया जाता है. आदिवासी नेता कृष्ण गरबियाल ने शुक्रवार को मीडिया को बताया, 'राज्य सरकार से आपूर्ति में मिलने वाला राशन का कोटा जरूरत की तुलना में कम है. इसीलिए कुछ ग्रामीणों को चीनी अनाज पर निर्भर होना पड़ता है जो वह नेपाल के बाजारों से खरीदते हैं.' 

गरबियाल, व्यास घाटी में ग्रामीणों के उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे, जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली(पीडीएस) के तहत राशन की आपूर्ति में वृद्धि की मांग को लेकर पिछले दिनों धारचूला के एसडीएम से मिला था. उन्होंने कहा कि गांव वाले, भारत को नेपाल से जोड़ने वाले गार्बियांग के पास काली नदी पर बने एक पुल को पार कर पड़ोसी देश के तिनकर और चांगरू गांव जाते हैं तथा वहां के बाजारों से अपनी जरूरत का राशन खरीदते हैं.

गरबियाल ने कहा, 'सरकार प्रत्येक परिवार को पांच किलो गेहूं और दो किलो चावल आवंटित करती है जो बहुत कम है. हमने अधिक ऊंचाई में रहने वाले परिवारों के लिए राशन का कोटा बढ़ाने की कई बार मांग की है क्योंकि इन क्षेत्रों में गेहूं अथवा धान जैसे अनाज नहीं पैदा होते हैं'. ग्रामीणों ने कहा कि एक ओर तो राशन का कोटा अपर्याप्त है वहीं दूसरी ओर आवंटित राशन भी समय पर नहीं पहुंचता. उन्होंने बताया कि उन्होंने मानसून की शुरुआत से पहले अपना आखिरी राशन प्राप्त किया था.

मंगटी से गुंजी तक 49 किलोमीटर के मार्ग की लगभग छह महीने से मरम्मत की जा रही है. इसके चलते गांवों में राशन भेजना बहुत मुश्किल हो गया है. धारचूला के एसडीएम आरके पांडेय ने कहा, 'मानसून शुरू होने से पहले 72.5 क्विंटल राशन, व्यास घाटी के गांवों को हेलीकॉप्टरों द्वारा भेजा गया था. गांव वालों को अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर के लिए राशन अभी तक नहीं भेजा जा सका है'.

उन्होंने कहा कि सड़क मार्ग की मरम्मत जारी होने के कारण प्रशासन व्यास घाटी के गांवों में राशन भेजने के लिए हेलीकॉप्टरों पर निर्भर है. पांडेय ने कहा कि प्रशासन, हेलीकॉप्टरों के जरिये राशन भेजने के लिए सेना के साथ भी संपर्क में है.

(इनपुट-भाषा

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