Prayagraj Mahakumbh 2025: निर्विघ्न महाकुंभ समापन के लिए भव्य पूजन किया गया, आज से जूना अखाड़े ने महाकुंभ की तैयारियों भी शुरू कर दी गईं. देवता के साथ नगर प्रवेश के लिए संगमनगरी कल ही जूना अखाड़े के रमता पंच पहुंच गए थे.
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प्रयागराज: प्रयागराज में श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के रमता पंच के संतों ने पूजा अर्चना की. यह पूजा निर्विघ्न महाकुंभ समापन के लिए की गई. इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार के साथ रमता पंच के साधू संतों ने पूजा अर्चना की. जूना अखाड़े के महंत प्रेम गिरी समेत अन्य संत भी इस भव्य पूजा में शामिल हुए. सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता बनाए रखने के लिए मेला प्रशासन के अधिकारी भी रमता पंच के पूजन अर्चन में शामिल हुए. पूजा में पहले इष्टदेव रुद्रावतार दत्तात्रेय भगवान की स्थापना की गई और फिर चार मढ़ियों के शिविर के बीच इष्टदेव रुद्रावतार दत्तात्रेय भगवान की पूजा की गई. आज से जूना अखाड़े ने महाकुंभ की तैयारियों की शुरुआत कर दी है.
पंच दशनाम जूना अखाड़े के देवता पहुंच गए थे कल ही पहुंच गए थे
आपको बता दें कि महाकुंभ-2025 में संगम की रेती पर विराजमान होने के लिए बुधवार को रमता पंच संग 13 अखाड़ों में सबसे बड़े पंच दशनाम जूना अखाड़े के देवता पहुंच गए थे और अखाड़े के रमता पंच, पंच परमेश्वर के महंत व चारों मढ़ियों के प्रमुखों ने अफसरों की मौजूदगी में दिव्य, भव्य और नव्य महाकुंभ का बिगुल फूंका. अंदावा के पास रामपुर में मेला प्रशासन की ओर से साधु-संतों की जूना अखाड़े के हनुमान मंदिर परिसर में भव्य अगवानी की गई थी.
हनुमान घाट पर इसका मुख्यालय
श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े की 12वीं शताब्दी में स्थापना हुई थी. इस अखाड़े के कुल कुल 4 मढिया हैं. काशी के हनुमान घाट पर इसका मुख्यालय है.
4 मढ़ी
13 मढ़ी
14 मढ़ी
16 मढ़ी हैं.
रमता पंच
इन्हीं चार मढ़ियों के संतों के पदाधिकारियों से रमता पंच बनाएं जाते हैं. यहीं पर जूना अखाड़े के संत पहुंचते हैं. चारों मढ़ियो के अलग अलग शिविर लगाए जाते हैं और इन्हीं चारों मढ़ियो के बीच में इष्टदेव रुद्रावतार दत्तात्रेय भगवान को विराजमान कराया जाता है. रमता पंच के संतों के हाथों में ही महाकुंभ के सभी कामों का कार्यभार होता है. जहां-जहां पर महाकुंभ अर्ध कुंभ का मेला लगता है वहां पर रमता पंच के संत सबसे पहले पहुंचते हैं. रमता पंच के संत मेले की तैयारियों की व्यवस्थाओं का निरिक्षण करते हैं.
दुनियां का सबसे बड़ा अखाड़ा
संतों की संख्या के हिसाब से जूना अखाड़े देश और दुनियां का सबसे बड़ा अखाड़ा है जिसमें 5 लाख से अधिक साधु संत देश दुनियां के अलग अलग भाग से जुड़े हैं. इससे एक लाख से ज्यादा नागा सन्यासी हैं जोकि सबसे ज्यादा हैं.
जूना के आचार्य महामंडलेश्वर- अवधेशानंद गिरी
जूना के संरक्षक- हरि गिरी जी महाराज
अखाड़े में कई और पद होते हैं जैसे कि-
मंहत, श्रीमहंत, मंडलेश्वर
महामंडलेश्वर, भंडारी, कोतवाल
थानापति, सचिव समेत अन्य कई पद
जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर
जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी ने लगभग एक लाख से ज्यादा संन्यासियों को दीक्षा दिया है. पिछले करीब 20 सालों से जूना अखाड़े के संरक्षक हरि गिरी जी महाराज सभी तेरह अखाड़ों को मिलाकर बने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री के पद की जिम्मेदारी उठाए हुए हैं.