Prayagraj Mahakumbh 2025: अखाड़ों का इतिहास पुराना है. साधुओं के इस दल के सदस्य शस्त्र विद्या में पारंगत होता है. इनके पास शास्त्रों का ज्ञान भी होता है. अखाड़ों का स्वतंत्रता संघर्ष में भी भूमिका रही.
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प्रयागराज: अखाड़ों का इतिहास पुराना और रोचक है. यह साधुओं का दल है जिसके सदस्य शस्त्र विद्या में पारंगत होता है. इसके साथ ही उनके पास शास्त्रों का ज्ञान भी होता है. अखाड़ों का स्वतंत्रता संघर्ष में भी अहम भूमिका रही. शास्त्र से न मानने वालों को इन अखाड़ों के साधु संत शस्त्र से मनाते हैं और इसी उद्देश्य के साथ अखाड़ों का जन्म हुआ. हालांकि आज अखाड़े अपने शुरुआती सैन्य चरित्र में नहीं है, आजादी के बाद इसका त्याग कर दिया. शैव, वैष्णव और उदासीन पंथ के संन्यासियों के मान्यता प्राप्त कुल 13 अखाड़े हैं.कुंभ या अर्धकुंभ में साधु-संतों के कुल 13 अखाड़ों द्वारा भाग लिया जाता है. इन अखाड़ों की प्राचीन काल से ही स्नान पर्व की परंपरा चली आ रही है.
शैव संन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़े होते है
1. श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी- दारागंज प्रयाग (उत्तर प्रदेश).
2. श्री पंच अटल अखाड़ा- चैक हनुमान, वाराणसी (उत्तर प्रदेश).
3. श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी- दारागंज, प्रयाग (उत्तर प्रदेश).
4. श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती - त्रंब्यकेश्वर, नासिक (महाराष्ट्र).
5. श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा- बाबा हनुमान घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश).
6. श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा- दशाश्वमेघ घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश).
7. श्री पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा- गिरीनगर, भवनाथ, जूनागढ़ (गुजरात).
बैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े होते है
8. श्री दिगम्बर अनी अखाड़ा- शामलाजी खाकचौक मंदिर, सांभर कांथा (गुजरात).
9. श्री निर्वानी आनी अखाड़ा- हनुमान गढ़ी, अयोध्या (उत्तर प्रदेश).
10. श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा- धीर समीर मंदिर बंसीवट, वृंदावन, मथुरा (उत्तर प्रदेश).
उदासीन संप्रदाय के 3 अखाड़े होते है
11. श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा- कृष्णनगर, कीटगंज, प्रयाग (उत्तर प्रदेश).
12. श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन- कनखल, हरिद्वार (उत्तराखंड).
13. श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा- कनखल, हरिद्वार (उत्तराखंड).
कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने आठवीं सदी में 13 अखाड़े बनाए थे. आज तक वही अखाड़े बने हुए हैं. बाकी कुंभ मेलों में सभी अखाड़े एक साथ स्नान करते हैं लेकिन नासिक के कुंभ में वैष्णव अखाड़े नासिक में और शैव अखाड़े त्र्यंबकेश्वर में स्नान करते हैं. यह व्यवस्था पेशवा के दौर में कायम की गई जो सन् 1772 से चली आ रही है.
अब आपको बताते हैं कि 13 अखाड़ों की अलग-अलग खासियत क्या है-
1- अटल अखाड़ा- यह अखाड़ा अपने आप ही अलग है. इस अखाड़े में केवल ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य दीक्षा ले सकते हैं और कोई अन्य इस अखाड़े में नहीं आ सकता है.---
2- अवाहन अखाड़ा- अन्य आखड़ों में महिला साध्वियों को भी दीक्षा दी जाती है लेकिन इस अखाड़े में ऐसी कोई परंपरा नहीं है.
3- निरंजनी अखाड़ा- यह अखाड़ा सबसे ज्यादा शिक्षित अखाड़ा है. इस अखाड़े में करीब 50 महामंडलेश्र्चर हैं.---
4- अग्नि अखाड़ा - इस अखाड़े में केवल ब्रह्मचारी ब्राह्मण ही दीक्षा ले सकते है. कोई अन्य दीक्षा नहीं ले सकता है.
5- महानिर्वाणी अखाड़ा- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा का जिम्मा इसी अखाड़े के पास है. यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है--- वाक थ्रू अखाड़े से
6- आनंद अखाड़ा- यह शैव अखाड़ा है जिसे आज तक एक भी महामंडलेश्वर नहीं बनाया गया है. इस अखाड़े के आचार्य का पद ही प्रमुख होता है. -- वाक थ्रू
7- दिंगबर अणि अखाड़ा- इस अखाड़े को वैष्णव संप्रदाय में राजा कहा जाता है. इस अखाड़े में सबसे ज्यादा खालसा यानी 431 हैं.
8- निर्मोही अणि अखाड़ा- वैष्णव संप्रदाय के तीनों अणि अखाड़ों में से इसी में सबसे ज्यादा अखाड़े शामिल हैं. इनकी संख्या 9 है.
9- निर्वाणी अणि अखाड़ा- इस अखाड़े में कुश्ती प्रमुख होती है जो इनके जीवन का एक हिस्सा है. इसी कारण से अखाड़े के कई संत प्रोफेशनल पहलवान रह चुके हैं.
10- बड़ा उदासीन अखाड़ा- इस अखाड़े उद्देश्य सेवा करना है. इस अखाड़े में केवल 4 मंहत होते हैं जो कभी कामों से निवृत्त नहीं होते है.-- वाक थ्रू अखाड़े के सामने से
11- जूना अखाड़ा --शिव संन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़ों में जूना अखाड़ा सबसे बड़ा है जिसके लगभग 5 लाख नागा साधु और महामंडलेश्वर संन्यासी है। इनमें से अधिकतर साधु नागा साधु हैं। इनसे अलग अलग क्षेत्र के अनुसार महंत होते हैं.
12- निर्मल अखाड़ा- इस अखाड़े में दूसरे अखाड़ों की तरह धूम्रपान की इजाजत नहीं है. इस बारे में अखाड़े के सभी केंद्रों के गेट पर इसकी सूचना लिखी होती है.
13- नया उदासीन अखाड़ा- इस अखाड़े में उन्हीं लोगों को नागा बनाया जाता है जिनकी दाढ़ी-मूंछ न निकली हो यानी 8 से 12 साल तक के बच्चे.-- वाक थ्रू अखाड़े के सामने
महाकुंभ में आ चुके सभी 13 अखाड़ों का एक बड़ा गौरवशाली इतिहास रहा है और धार्मिक मान्यता भी है.
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