SC on Electoral Bonds: चुनावी बॉन्ड पर इन 5 वजहों से लगी रोक, सुप्रीम कोर्ट में क्यों नहीं चली सरकार और चुनाव आयोग की दलील
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SC on Electoral Bonds: चुनावी बॉन्ड पर इन 5 वजहों से लगी रोक, सुप्रीम कोर्ट में क्यों नहीं चली सरकार और चुनाव आयोग की दलील

  SC on Electoral Bonds: चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव बॉन्ड में गोपनीयता को मतदाता के अधिकार का उल्लंघन माना है.

 

 

 

SC on Electoral Bonds: चुनावी बॉन्ड पर इन 5 वजहों से लगी रोक, सुप्रीम कोर्ट में क्यों नहीं चली सरकार और चुनाव आयोग की दलील

 SC on Electoral Bonds:  चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुना दिया है. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताया है. कोर्ट ने सरकार को किसी अन्य विकल्प पर विचार करने को कहा है. चुनावी बॉड पर CJI ने साफ किया कि जजों की एक राय है पर फैसले दो हैं. CJI ने एकमत से फैसला देते हुए कहा कि एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से जानकारी सार्वजानिक करनी होगी. एसबीआई ये जानकारी EC को देनी होगी और चुनाव आयोग इस जानकारी को साझा करेगा.

चुनावी बॉन्ड पर इन 5 वजहों से लगी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव बांड स्कीम को सूचना के अधिकार का हनन माना, कोर्ट ने कहा, इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले और उसे पाने वाले राजनीतिक दल का नाम की जानकारी होना हर नागरिक का अधिकार है.

सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड की गोपनीयता को भी पारदर्शिता और निष्पक्षता के खिलाफ माना.

यह मतदाता के अधिकारों का उल्लंघन है. वोटरों का यह जानने का हक है कि आखिर पैसा कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है.

कॉरपोरेट कंपनियों द्वारा राजनीतिक दलों को किसी भी सीमा तक चुनावी चंदा देने का नियम भी मनमाना और गलत था. इससे चुनावी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है. कॉरपोरेट कंपनियों के जरिये चंदा को छुपाया नहीं जाना चाहिए।

दानकर्ता के हितों की सुरक्षा की दुहाई देकर इलेक्शन बॉन्ड के दुरुपयोग की आशंका के मद्देनजर फंडिंग को पूरी तरह से गोपनीय रखना ठीक नहीं है.

सूचना के अधिकार का उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की आलोचना करते हुए कहा कि राजनीतिक पार्टियों को हो रही फंडिंग की जानकारी मिलना बेहद जरूरी है. इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि SBI खुलासा करे कि किस राजनैतिक पार्टी को इलेक्ट्रोल बॉन्ड के जरिये कुल कितना चंदा दिया है.  SBI ये जानकारी EC को देगा. EC मार्च 31 तक वेबसाइट पर डालेगा अभी तक जिन राजनैतिक दलो ने बॉन्ड को कैश नहीं कराया , बैक को वापस देंगे. कोर्ट ने कॉरपोरेट कंपनी पर इलेक्टरोल बांड के जरिये चन्दा देने की निर्धारित सीमा को हटाने पर के सरकार के फैसले को मनमाना, ग़लत करार दिया है. कोर्ट इलेक्ट्रोल बॉन्ड स्कीम पर तुरत रोक लगे.

 चंदा को छुपाया नहीं जाना चाहिए-SC

SC ने इलेक्ट्रोल बॉन्ड स्कीम के लिए किए गए संसोधन को असंवैधानिक करार दिया है. कोर्ट ने कहा कि दानकर्ता के हितों की सुरक्षा की दुहाई देकर , दुरुपयोग की आशंका के मद्देनजर फंडिंग को पूरी तरह से गोपनीय रखना ठीक नहीं है.  शीर्ष अदालत ने कहा कि कॉरपोरेट कंपनियों के जरिये चंदा को छुपाया नहीं जाना चाहिए.

 इलेक्ट्रोल बांड स्कीम वोटर के जानने के अधिकार का हनन-SC

इस स्कीम के जरिये ब्लैक मनी पर लगाम कसने की दलील देकर वोटरों के दलों की फंडिंग के बारे मे जानने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने माना कि इलेक्ट्रोल बांड स्कीम वोटर के जानने के अधिकार का हनन करती है. साथ ही बेंच ने माना कि ये स्कीम वोटरों के आर्टिकल 19 (1) A का उल्लंघन करती है. कोर्ट ने कहा कि इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि चंदा रिश्वत का जरिया भी बन सकता है जिससे सरकारी नीतिया प्रभावित हो. कोर्ट ने कॉरपोरेट कंपनी पर इलेक्टरोल बॉन्ड के जरिये चन्दा देने की निर्धारित सीमा को हटाने पर भी विचार किया है.

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