Lok Sabha Chunav 2024: चुनावी मैदान चाहें प्रधानी का हो या सांसदी का. लोग बढ़ चढ़कर इसमें हिस्सा लेते हैं. आबादी के लिहाज से सबसे बड़े सूबे में प्रत्याशियों की संख्या भी अधिक रहती है. इसी वजह से यूपी में जमानत जब्त कराने में भी नंबर वन है.
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Lok Sabha Chunav 2024: राजनीति की बात होती है तो उत्तर प्रदेश का नाम जुबां पर आ ही जाता है. एक कहावत भी है कि दिल्ली की गद्दी का रास्ता यूपी से होकर ही जाता है. यहां के चौराहे, दुकानों पर राजनीतिक चर्चा को आसानी से देखा जाता है. चुनावी मैदान चाहें प्रधानी का हो या सांसदी का. लोग बढ़ चढ़कर इसमें हिस्सा लेते हैं. आबादी के लिहाज से सबसे बड़े सूबे में प्रत्याशियों की संख्या भी अधिक रहती है. इसी वजह से यूपी में जमानत जब्त कराने में भी नंबर वन है.
2019 में कितने प्रत्याशियों की जमानत जब्त?
2019 लोकसभा के नतीजे देखें तो यूपी के कुल 819 उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे. यह आंकड़ा देश में सबसे ज्यादा था. दूसरे नंबर पर तमिलनाडु था, जहां 774 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई जबकि महाराष्ट्र में 768 उम्मीदवार जमानत नहीं बचा पाए. जमानत जब्ती के तौर पर कुल आंकड़े को देखे तो 17.5 करोड़ रुपये सरकार को मिले थे. यूपी में 2014 में 1087 प्रत्याशियों, 2009 में 1155 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हुई थी.
क्यों ली जाती है जमानत राशि?
दरअसल, चुनाव चाहें निकाय का हो या राष्ट्रपति का, प्रत्याशी को चुनाव आयोग द्वारा तय की गई एक निश्चित धनराशि जमा करानी होती है. इसके जमानत राशि कहा जाता है. इसको लेने का उद्देश्य यह है कि चुनावी मैदान में वही प्रत्याशी उतरे जो गंभीर हो. संसदीय चुनाव के लिए जमानत राशि 25 हजार रुपये, विधानसभा चुनाव के लिए 10 हजार रुपये निर्धारित है.
कब जब्त होती है जमानत राशि?
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 34(1) (ए) के तहत अगर किसी प्रत्याशी को कुल मतदान का छठवां हिस्सा या 16.67 प्रतिशत वोट नहीं मिलते हैं तो उसकी जमानत राशि जब्त हो जाती है. नामांकन खारिज होने या वापस लेने पर यह नहीं लौटाई जाती है.
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