चौथे चरण में बीजेपी ने किया था क्लीन स्वीप, दलित फैक्टर तय करेगा बीजेपी या विपक्ष में कौन मारेगा बाजी
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चौथे चरण में बीजेपी ने किया था क्लीन स्वीप, दलित फैक्टर तय करेगा बीजेपी या विपक्ष में कौन मारेगा बाजी

UP Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 13 सीटों के लिए 13 मई को मतदान होना है. इन लोकसभा क्षेत्रों में शाम छह बजे से चुनाव प्रचार थम जाएगा.उत्तर प्रदेश की 13 लोकसभा सीट और ददरौल विधानसभा उपचुनाव के लिए 13 मई को वोटिंग होनी है. इन सभी लोकसभा सीटों पर कुल 130 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं.

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UP Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 13 सीटों के लिए 13 मई को मतदान होना है. इन लोकसभा क्षेत्रों में शाम छह बजे से चुनाव प्रचार थम जाएगा.उत्तर प्रदेश की 13 लोकसभा सीट और ददरौल विधानसभा उपचुनाव के लिए 13 मई को वोटिंग होनी है. इन सभी लोकसभा सीटों पर कुल 130 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. शाहजहांपुर की ददरौल विधानसभा सीट के उप चुनाव के लिए 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं.चौथे चरण में शाहजहांपुर (एसी), खीरी, धौरहरा, सीतापुर, हरदोई (एससी), मिश्रिख (अनुसूचित जाति), उन्नाव, फर्रूखाबाद, इटावा (अजा), कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर, बहराइच (एससी) लोकसभा सीटें आती हैं. इनमें आठ सीटें सामान्य श्रेणी और पांच अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं

चौथे चरण की कई सीटें आरक्षित श्रेणी की हैं और यहां दलित वोटर निर्णायक स्थिति में है. दलितों में पैठ बढ़ाने को लेकर भाजपा ने बिसात बिछाई है. चौथे और पांचवें चरण की 27 सीटों पर दलित मतदाता निर्णायक स्थिति में है.कई सीटे ऐसी हैं, जहां 38 फीसदी तक दलित मतदाता हैं. इनमें मिश्रिख और मोहनलालगंज जैसी सुरक्षित सीट शामिल हैं. जबकि बाराबंकी हरदोई कौशांबी सीटों पर दलित वाटर 32 फीसदी या उससे  अधिक हैं. इन सभी सीटों पर पिछली बार बीजेपी को जीत मिली थी.बहराइच और इटावा सीट ऐसी है. जहां दलित वर्ग के वोटर 25 से 30 फीसदी के बीच है.

भाजपा ने चौथे और पांचवें चरण की 27 सीटों में से 26 पर पिछले चुनाव में जीत हासिल की थी.ऐसे में इन सीटों के लिए भाजपा ने दलित  मंत्रियों और दलित नेताओं को किलेबंदी के लिए उतारा है.यूपी मंत्री असीम अरुण, राज्यसभा सांसद बृजलाल, मंत्री बेबी रानी मौर्य एमएलसी लालजी प्रसाद निर्मल एससी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र कनौजिया सहित तमाम दलित नेताओ को पार्टी ने मोर्चाबंदी के लगाया है. एससी मोर्चा के जिला अध्यक्षों को दलित बस्तियों में डेरा डालने के साथ ही रैलियों में दलितों की भागीदारी बढ़ाने का जिम्मा सौंपा गया है

 

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