एंथ्रोपोलॉजी डिपार्टमेंट के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर के चारों पदों पर रिजर्वेशन लागू किया गया है, जबकि याची प्रीति सिंह जनरल कैटेगरी की हैं. इसलिए पूरी तरीके से क्वालिफाइड होने के बावजूद भी अप्लाई नहीं कर सकती.
Trending Photos
लखनऊ: लखनऊ यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के 180 पदों पर भर्ती होने वाली थी. चयन प्रक्रिया के अंतिम रूप से पहले ही हाईकोर्ट ने इसपर रोक लगा दी है. कोर्ट ने यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट को चयन प्रक्रिया जारी रखने के लिए कहा है, लेकिन कोर्ट का निर्देश है कि वह एंथ्रोपोलॉजी डिपार्टमेंट में याची के लिए एक सीट खाली रखें. बता दें, याची डॉ. प्रीति सिंह की याचिका पर जस्टिस इरशाद अली ने यह आदेश जारी किए हैं.
ये भी देखें: सिपाही ने ही UP Police को दी खुली चुनौती, "लगातार करूंगा 3 मर्डर, दम हो तो रोक कर दिखाइए"
योग्य होने के बावजूद नहीं कर सकती अप्लाई
गौरतलब है कि याची प्रति सिंह ने असिस्टेंट फ्रोफेसर के 180 पदों पर भर्ती में एंथ्रोपोलॉजी डिपार्टमेंट की 4 सीटों पर नियुक्ति को चुनौती दी है. प्रीति सिंह के एडवोकेट का कहना था कि विज्ञापन के क्रम में शुरू की गई चयन प्रक्रिया में यूनिवर्सिटी को एक यूनिट मान कर रिजर्वेशन लागू किया गया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विषय को यूनिट माना जाना चाहिए. इसको देखते हुए एडवोकेट ने कहा है कि विज्ञापन में आरक्षण संबंधी जो भी मानक लिए गए हैं, वह विधि विरुद्ध हैं.
ये भी देखें: इस डॉगी का भी मन गया Valentine's Day, देखें कैसे Kiss मिलने पर खुशी से झूम उठा
यूनिवर्सिटी ने अपने पक्ष में दी यह सफाई
एंथ्रोपोलॉजी डिपार्टमेंट के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर के चारों पदों पर रिजर्वेशन लागू किया गया है, जबकि याची प्रीति सिंह जनरल कैटेगरी की हैं. इसलिए पूरी तरीके से क्वालिफाइड होने के बावजूद भी अप्लाई नहीं कर सकती. दूसरी तरफ, याचिका के विरोध में यूनिवर्सिटी के एडवोकेट का कहना था कि 7 मार्च 2019 को केंद्र सरकार ने 10% अतिरिक्त आरक्षण का प्रावधान लागू किया था. इसलिए 50% रिजर्वेशन लिमिट पूरी हो गई है. यूनिवर्सिटी का कहना है कि यहां यूपी लोक सेवा- ST, SC और OBC के लिए रिजर्वेशन अधिनियम, 1994 इस मामले में लागू नहीं हो सकता. इसलिए विषय को इकाई न मानते हुए यूनिवर्सिटी को एक यूनिट माना गया है.
ये भी देखें: देखें मछलियों की 'धुआंधार' जंग का ये मजेदार Video, हो जाएंगे लोटपोट
राज्य सरकार और यूनिवर्सिटी से मांगा जवाब
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि इस प्वाइंट पर विचार किया जाएगा कि राज्य सरकार एक शासनादेश से सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा पारित किए गए इस अधिनियम के प्रावधानों को खत्म कर सकती है या नहीं. कोर्ट ने राज्य सरकार और यूनिवर्सिटी से इस मामले में जवाब तलब किया है. जवाब देने के लिए 10 मार्च 2021 तक का समय दिया गया है. इसी दिन सुनवाई होगी.
WATCH LIVE TV