मुलायम सिंह यादव की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे बलिया के कद्दावर नेता अंबिका चौधरी ने बसपा जॉइन कर ली थी. अब वह अपने को पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. एक बार फिर उनकी वापसी समाजवादी पार्टी में तय मानी जा रही है.
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बलिया: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अब 8 महीने से कम समय बचा है. उससे पहले बहुजन समाज पार्टी में टूट का सिलसिला जारी है. ताजा मामला बलिया का है जहां अंबिका चौधरी के बेटे आनंद चौधरी बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़े और जीते. लेकिन अब बसपा में अंबिका चौधरी का दम घुटने लगा है.
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मुलायम सिंह यादव की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे बलिया के कद्दावर नेता अंबिका चौधरी ने बसपा जॉइन कर ली थी. अब वह अपने को पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. एक बार फिर उनकी वापसी समाजवादी पार्टी में तय मानी जा रही है. समाजवादी पार्टी से बेटे के जिला पंचायत अध्यक्ष पद का प्रत्याशी घोषित होते ही अंबिका चौधरी ने बहुजन समाज पार्टी से इस्तीफा दे दिया.
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मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव के बेहद करीब माने जाने वाले अंबिका चौधरी ने 2017 का विधानसभा और 2019 का लोकसभा चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा था. दोनों में उन्होंने हार झेली. उनके बेटे आनंद चौधरी ने बलिया में जिला पंचायत सदस्य पद पर बसपा के अधिकृत प्रत्याशी के रूप में वार्ड नम्बर 45 से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की और सपा ने उन्हें बलिया से जिला पंचायत अध्यक्ष का उम्मीदवार घोषित किया.
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मायावती को भेजे इस्तीफे में पूर्व मंत्री ने कहा कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से बसपा में मुझे कोई दायित्व नहीं दिया जा रहा है. ऐसा लग रहा है कि पार्टी में मैं उपेक्षित और अनुपयोगी हो गया हूं. मेरे पुत्र को सपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष का प्रत्याशी बनाया है. इसलिए मैंने अपना इस्तीफा मायावती को भेज दिया है. सपा सूत्रों की मानें तो एक-दो दिन में अंबिका चौधरी भी सपा की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं.
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