Gomti Riverfront Scam: शिवपाल यादव समेत दो अफसरों पर कस सकता है शिकंजा, CBI ने मांगी पूछताछ की अनुमति
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Gomti Riverfront Scam: शिवपाल यादव समेत दो अफसरों पर कस सकता है शिकंजा, CBI ने मांगी पूछताछ की अनुमति

Gomti Riverfront Scam मामले में तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव और दो आईएएस अफसर सीबीआई जांच के दायरे में आ गये हैं. 

Gomti Riverfront Scam: शिवपाल यादव समेत दो अफसरों पर कस सकता है शिकंजा, CBI ने मांगी पूछताछ की अनुमति

Gomti Riverfront Scam: गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव और दो आला अफसरों की भूमिका की पड़ताल शुरू हो गई है. सीबीआई ने उनसे आगे की जांच के लिए पूछताछ की अनुमति मांगी है. इसलिए शासन ने निर्णय लेने के लिए सिंचाई विभाग से संबंधित रिकॉर्ड तलब किया है. वर्ष 2017 में सत्ता संभालते ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट की न्यायिक जांच कराई थी. 

सीएम ने की थी सीबीआई जांच की सिफारिश 
यूपी में भाजपा की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से केंद्र सरकार को रिवर फ्रंट घोटाले में न्यायिक जांच समिति की रिपोर्ट, गोमतीनगर थाने में दर्ज एफआईआर की कॉपी और अन्य दस्तावेज भेजे गए थे. इसके आधार पर केंद्र ने सीबीआई को जांच सौंप दी थी. 

19 जून 2017 को सिंचाई विभाग के अधिशाषी अभियंता ने दर्ज कराई थी FIR 
केंद्र सरकार द्वारा गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई जांच की संस्तुति करने से पहले योगी सरकार ने मामले की न्यायिक जांच कराई थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति ने जांच में दोषी पाए गए इंजीनियरों और अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए जाने की सिफारिश की थी. इसके बाद 19 जून 2017 को सिंचाई विभाग के अधिशाषी अभियंता डॉ. अंबुज द्विवेदी ने गोमतीनगर थाने में धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था.  बाद में यह जांच सीबीआई को स्थानान्तरित हो गई थी. 

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CBI ने रिवर फ्रंट घोटाले में 30 नवंबर 2017 को नया मुकदमा दर्ज किया था
सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने रिवर फ्रंट घोटाले में यूपी सिंचाई विभाग की ओर से लखनऊ के गोमतीनगर थाने में दर्ज कराए गए मुकदमे को आधार बनाकर 30 नवंबर 2017 को नया मुकदमा दर्ज किया था. इसमें सिंचाई विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता (अब सेवानिवृत्त) गुलेश चंद, एसएन शर्मा और काजिम अली, तत्कालीन अधीक्षण अभियंता (अब सेवानिवृत्त) शिव मंगल यादव, अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव और अधिशाषी अभियंता सुरेश यादव नामजद हैं.

प्रोजेक्ट के लिए निर्धारित 95 % रकम खर्च, लेकिन 60% काम भी पूरा नहीं हुआ
सीबीआई रिवर फ्रंट घोटाले में इस आरोप की जांच कर रही है कि प्रोजेक्ट के तहत निर्धारित कार्य पूर्ण कराए बगैर ही स्वीकृत बजट की 95 प्रतिशत धनराशि कैसे खर्च हो गई? सीबीआई की प्रारंभिक जांच में य​ह सामने आया कि प्रोजेक्ट में बिना काम हुए मनमाने तरीके से खर्च दिखाकर सरकारी धन की बंदरबांट की गई. गोमती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट की कुल अनुमानित लागत 1513 करोड़ रुपये थी, जिसमें 1437 करोड़ रुपए खर्च हो जाने के बाद भी 60 फीसदी काम पूरा नहीं हो पाया था. एक आरोप यह भी है कि जिस कंपनी को रिवर फ्रंट डेवलपमेंट का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था, वह पहले से डिफाल्टर थी. बता दें कि सीबीआई के बाद  प्रवर्तन निदेशालय ने भी मनी लांड्रिंग का मुकदमा दर्ज किया था.  

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