Lucknow News: आलू की खेती कर माला-माल हो जांएगे यूपी के किसान, समुद्र के रास्ते होगा व्यापार
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Lucknow News: आलू की खेती कर माला-माल हो जांएगे यूपी के किसान, समुद्र के रास्ते होगा व्यापार

Lucknow News: केंद्र सरकार ने आलू को समुद्र मार्ग से निर्यात करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिससे उत्तर प्रदेश के आलू उत्पादक किसानों को फायदा होगा. हापुड़ तथा कुशीनगर में एक्सीलेंस सेंटर के निर्माण से किसानों को बेहतर बीज और कृषि तकनीक मिलेंगी, इस पहल से उत्तर प्रदेश के आलू उत्पादक जिलों के साथ-साथ अन्य राज्यों और दक्षिण एशियाई देशों को भी लाभ होगा.

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Lucknow News: उत्तर प्रदेश के आलू उत्पादक किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है. केंद्र सरकार ने समुद्र मार्ग के जरिए आलू के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसमें आलू को भी शामिल किया गया है. चूंकि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य है और यहां कन्नौज, फर्रुखाबाद जैसे जिलों में आलू की दोहरी फसल ली जाती है, ऐसे में इस प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा लाभ यूपी के आलू उत्पादक किसानों को होने की संभावना है.

आलू किसानों को स्थिरता मिलेगी
उत्तर प्रदेश की कृषि भूमि में आलू के बिना किसी सब्जी की कल्पना भी नहीं की जा सकती. यह न केवल हर समय सस्ती दरों पर उपलब्ध होता है, बल्कि इसके मूल्य में उतार-चढ़ाव भी मीडिया की सुर्खियां बनता है. अब समुद्र के रास्ते आलू का निर्यात बढ़ने से इसके मूल्य में तेजी और मंदी की खबरों पर कुछ हद तक रोक लगेगी, जिससे आलू किसानों को स्थिरता मिलेगी.

उचित दाम पर बीज की उपलब्धता 
योगी सरकार आलू किसानों के हित में हमेशा सक्रिय रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल के शुरुआत में आलू किसानों के लिए 'बाजार हस्तक्षेप योजना' लागू की थी, जो प्रदेश के इतिहास में एक अनोखी पहल थी. इसके बाद से ही सरकार ने किसानों के लिए बेहतर बीज, उचित दाम पर बीज की उपलब्धता और आलू के प्रसंस्करण के लिए मेगा फूड पार्क स्थापित करने जैसी कई योजनाएं बनाई हैं.

120 करोड़ रुपये की लागत अनुमानित 
आगरा में स्थापित होने वाला अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) और हापुड़ तथा कुशीनगर में बन रहे एक्सीलेंस सेंटर इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होंगे. सीआईपी केंद्र की स्थापना के लिए 120 करोड़ रुपये की लागत अनुमानित है, और यह 10 हेक्टेयर क्षेत्र में बनेगा. इन केंद्रों के निर्माण से किसानों को बेहतर गुणवत्ता के आलू के बीज मिलेंगे, जिससे उनकी उपज में वृद्धि होगी और आय में भी सुधार होगा.

किसानों को आलू की खेती के नए तरीके सीखने का मौका
इन केंद्रों के खुलने से उत्तर प्रदेश के आलू उत्पादक क्षेत्रों के साथ-साथ बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के किसानों को भी लाभ मिलेगा. साथ ही, दक्षिण एशिया के अन्य आलू उत्पादक देशों को भी इन केंद्रों से फायदा होगा. इन केंद्रों का उद्देश्य आलू की अधिक उत्पादकता वाली और प्रसंस्करण योग्य किस्मों का विकास करना है. इसके अलावा, किसानों को आलू की खेती के नए तरीके सीखने का मौका मिलेगा, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी.

यूपी में आंकड़ा 25.48 मीट्रिक टन
उत्तर प्रदेश का आलू उत्पादन देश में सबसे अधिक है, हालांकि पश्चिम बंगाल प्रति हेक्टेयर अधिक उत्पादन करता है. पश्चिम बंगाल में प्रति हेक्टेयर आलू का उत्पादन 29.9 मीट्रिक टन है, जबकि यूपी में यह आंकड़ा 25.48 मीट्रिक टन है. इस गैप को खत्म करने और यूपी में प्रति हेक्टेयर आलू उत्पादन बढ़ाने के लिए शोध केंद्रों का खुलना बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है.

आलू किसानों को नई संभावनाओं का मार्गदर्शन
उत्तर प्रदेश के प्रमुख आलू उत्पादक जिले जैसे कन्नौज, फर्रुखाबाद, आगरा, मथुरा, अलीगढ़, मेरठ और लखनऊ अब एक नई दिशा में आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं. इन जिलों में आलू की खेती पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, ताकि प्रदेश का आलू उत्पादन और भी बढ़े और किसानों को अधिक लाभ हो. इस नए प्रोजेक्ट के माध्यम से यूपी के आलू किसानों को नई संभावनाओं का मार्गदर्शन मिलेगा, और इसके जरिए आलू की खेती से उनकी आय में भी उन्नति हो सकती है.

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