Lucknow Gauri Hatyakand: एकतरफा प्यार में गौरी के किए थे आरी से कई टुकड़े, 9 साल से जेल में बंद हिमांशु को मिली जमानत
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Lucknow Gauri Hatyakand: एकतरफा प्यार में गौरी के किए थे आरी से कई टुकड़े, 9 साल से जेल में बंद हिमांशु को मिली जमानत

Gauri Hatyakand Lucknow: एकतरफा प्यार में  हिमांशु  ने 1 फरवरी 2015 को गौरी की हत्या की थी. हिमांशु 9 सालों से ल में बंद है. पुलिस की लचर पैरवी से जमानत मिल गई है.

 

Lucknow Gauri Srivastava Murder case

Gauri Hatyakand Lucknow:  नौ साल पहले लखनऊ में हुए गौरी हत्याकाण्ड के आरोपी हिमांशु प्रजापति को हाईकोर्ट से सोमवार को जमानत मिल गई हैं. कोर्ट में प्रभावी पैरवी नहीं होने से आरोपी को इसका फायदा मिला और उसको जमानत मिल गई.  हिमांशु ने एक तरफा प्यार में गौरी के शरीर को आरी से टुकड़े-टुकड़े कर डाले थे. इन टुकड़ों को बोरियों में भरकर शहीद पथ के किनारे अलग-अलग जगहों पर फेंक दिया था. पुलिस की कई टीमों ने वैज्ञानिक सबूतों के साथ इस केस का पर्दाफाश किया  और चार्जशीट दाखिल की थी. इसके बाद कोर्ट में प्रभावी पैरवी न होने से आरोपी को इसका फायदा मिल गया. अभी भी हत्याकाण्ड का ट्रॉयल अभी चल रहा है.

कब हुआ हत्याकांड
अमीनाबाद में रहने वाले व्यापारी शिशिर श्रीवास्तव की बेटी गौरी (19) विधि की पढ़ाई कर रही थी. गौरी अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी. 1 फरवरी 2015 के दिन गौरी दोपहर के साढ़े 12 बजे अपने पिता की जैकेट को ड्राइक्लीनिंग करवाने के लिए घर से निकली थी. गौरी ने मां से मंदिर जाने की बात भी कही थी.  इसलिए ड्राइक्लीनिंग के बाद वह सीधे मंदिर जाएगी. फिर घर वापस लौटेगी. शाम के चार बज गए लेकिन गौरी घर नहीं लौटी, तो मां ने लगातार गौरी को फोन किया. पर बेटी ने फोन नहीं उठाया. परेशान होकर उन्होंने गौरी के पिता को फोन किया और बताया कि बेटी अब तक घर नहीं लौटी है और न ही फोन उठा रही है. पिता ने भी बेटी के नंबर पर फोन किया पर किसी लड़के ने फोन उठाया और कहा कि गौरी अभी घर लौट आयेगी. कभी कुछ कहता तो कभी कुछ.  लड़के ने कई बार फोन उठाया पर बात नहीं कराई.  किसी अनहोनी की आशंका से अमीनाबाद पुलिस को सूचना दी. 

बोरी में कटे हुए मांस के टुकड़े
पुलिस उसे तलाश कर रही थी तभी दो फरवरी को सुबह शहीद पथ के पास एक बोरी में कुछ मांस के टुकड़े मिले.  इस बोरे में कटे पैर टुकड़े लड़की के लग रहे थे. वहां से कुछ दूर झाड़ियों में एक और बोरी में टुकड़े मिले. इसमें कटे हाथ और सिर था.  और भी अंग बोरी में मिले. पुलिस शिशिर को अस्पताल ले गई जहां सारे टुकड़े रखे गये थे. । शिशिर व तृप्ति ने सिर देखकर उसकी पहचान अपनी बेटी के रूप में की. गौरी की इस तरह से हत्या ने पूरे शहर को झकझोर दिया था.

बाइक नंबर से आरोपी का पता
पुलिस ने सर्विलांस से पता चलाया कि गौरी की आखिरी चैट के समय लोकेशन तेलीबाग थी. पुलिस को एक सीसी फुटेज मिला जिसमें गौरी कुछ दूर पैदल चलती दिखी और बाद में एक बाइक पर वह बैठ गई.  इस क्लिप में आरोपी का चेहरा साफ नहीं था लेकिन बाइक के आधार पर हिमांशु का पता चल गया था.

पुलिस ने हिमांशु को सात दिन बाद पकड़ा तो उसने कुबूला कि एक तरफा प्यार में उसने गौरी की हत्या की थी. उसने कबूला की गौरी उससे प्यार नहीं करती थी. गुस्से में आकर उसने इस हत्याकांड को अंजाम दिया. कोर्ट में केस चला. हिमांशु का केस लड़ रहे वकील ने  कई तर्क रखे. इस पर सरकारी वकील ने पैरवी तो की लेकिन कुछ तथ्यों पर सवाल पूछा तो कोई जवाब नहीं मिला.  आरी पर मिले खून के निशान में किसी लड़की का खून बताया गया पर ये गौरी के हैं या किसी और के इसका तथ्य नहीं. कोर्ट ने यह भी कहा कि आरी पर मिले खून के निशान की फोरेंसिक लैब में करायी गई जिसमें सिर्फ यह बताया गया कि यह खून किसी लड़की का है. कोर्ट में हिमांशु के पक्ष में कई कारण गिनाए गए और उसको वेल मिल गई.

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